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हनुमानगढ़

चालाकी नहीं आई काम, निकालने पड़ेंगे थाने के चक्कर, फसल बीमा योजना में फर्जी तरीके से क्लेम उठाने का मामला

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हनुमानगढ़. जिले में कुछ जगह फर्जी तरीके से प्रधानमंत्री फसल बीमा का क्लेम उठाने का मामला सामने आने पर इसकी जांच पूरी हो चुकी है। जिन आरोपियों ने सिस्टम को हैक करके फर्जी क्लेम उठाते समय चालाकी दिखाई थी, उन्हें अब थाने के चक्कर निकालने पड़ेंगे।
 

हनुमानगढ़Jul 07, 2021 / 07:50 am

Purushottam Jha

चालाकी नहीं आई काम, निकालने पड़ेंगे थाने के चक्कर
-जिले के गांव ढंढ़ेला और मलसीसर में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में फर्जी तरीके से क्लेम उठाने का मामला
-नियमों को ताक पर रख उठाया करीब पचास लाख का फर्जी क्लेम
हनुमानगढ़. जिले में कुछ जगह फर्जी तरीके से प्रधानमंत्री फसल बीमा का क्लेम उठाने का मामला सामने आने पर इसकी जांच पूरी हो चुकी है। जिन आरोपियों ने सिस्टम को हैक करके फर्जी क्लेम उठाते समय चालाकी दिखाई थी, उन्हें अब थाने के चक्कर निकालने पड़ेंगे। फर्जी तरीके से क्लेम उठाने संबंधी प्रकरण सामने आने के बाद अब ढंढ़ेेला गांव से जुड़े मामले में आरोपियों के खिलाफ पुलिस थाने में मामला भी दर्ज करवा दिया गया है। मलसीसर की जांच भी लगभग पूरी हो चुकी है। जल्द इस गांव में भी फर्जी तरीके से बीमा क्लेम उठाने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करवाने की तैयारी है। आरोप है कि इन दोनों गांवों में जल मांग वाली फसल मूंगफली की बिजाई नहीं हुई।
लेकिन कूटरचित दस्तावेजों के जरिए आरोपियों ने अकेले गांव ढंढ़ेला में पचास लाख से अधिक का फर्जी क्लेम उठा लिया। बीमा घोटाले में एग्री कल्चर इंश्योरेंस कंपनी नोहर के ब्लॉक कॉर्डिनेटर, राजस्व पटवारी, पीएनबी स्टॉफ व ई-मित्र संचालक की पूरी भूमिका रही है। सभी आरोपियों ने अपने परिवार व अन्य चहेतों के नाम फर्जी तरीके से दस्तावेज तैयार कर बीमा क्लेम उठा लिया। इस मामले में कुछ किसानों ने खरीफ २०२० में पीएम फसल बीमा योजना में फर्जी तरीके से क्लेम उठाने की शिकायत की थी। इसके बाद जिला प्रशासन स्तर पर गठित कमेटी ने जांच की। इसमें प्रशासनिक व कृषि विभाग से जुड़े अधिकारियों ने सभी तथ्यों को जांचने के बाद फर्जीवाड़े की पुष्टि की है। पूरे जिले की बात करें तो खरीफ सीजन २०२० में सबसे अधिक २३६ करोड़ का क्लेम भादरा व करीब इतना ही नोहर क्षेत्र के लिए आया है।
यह खेल भी रच रहे
गांव ढंढ़ेला में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में हेराफेरी कर लाखों की कमाई करने वाले की शिनाख्तगी के बाद अब आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दिया गया है। इसके बाद आरोपी तरह-तरह के खेल रच रहे हैं। बताया जा रहा है कि सबसे अधिक घोटाला पटवार मंडल मलसीसर में हुआ है। इसमें विशेष गिरोह के लोगों ने धोखाधड़ी कर अन्य किसानों की भूमि, सार्वजनिक व सरकारी जमीनों पर फसल बीमा का क्लेम उठा लिया है। कुछ अन्य पटवार मंडलों में आ रही शिकायतों को लेकर भी जांच की जा रही है। इस मामले में और तथ्य जुटाने के लिए कृषि विभाग व बीमा कंपनियों से वर्ष 2016 से 2021 के फसल बीमा के आंकड़े लिए गए हैं। बीमा घोटाले में सहकारी समितियों से जुड़े लोग, ईमित्र संचालक और कुछ अन्य किसान शामिल हैं। अब कार्रवाई होने के कारण आरोपी संबंधित किसानों को राशि वापस लौटा कर अपना बचाव करने का प्रयास कर रहे हैं।
ऐसे खुलती गई परतें
पीएम फसल बीमा योजना में हुए घोटाले को सबसे पहले पत्रिका ने उजागर किया था। १४ जून को Óफसल बीमा योजना में गड़बड़ी का आरोप, जांच के लिए कमेटी गठितÓ शीर्षक से समाचार प्रकाशित होने के बाद लगातार इस मामले की परतें खुलती गई। जांच रिपोर्ट आने के बाद इस बीमा घोटाले में लिप्त आरोपियों की पहचान भी कर ली गई है। जिले के कुछ जागरूक किसानों की ओर से की गई शिकायत को पत्रिका ने लगातार आवाज देने का प्रयास किया।
इतने का क्लेम वितरित
हनुमानगढ़ जिले में खरीफ 2019 में 130321 बीमित कृषकों को 668.48 करोड़ रुपए का म्लेम जारी किया गया। इसी तरह रबी 2019-20 में 79282 बीमित कृषकों को 364.40 करोड़ रुपए व खरीफ 2020 में 172058 बीमित कृषकों को 402.44 करोड़ रुपए का फसल बीमा क्लेम राशि स्वीकृत कर फसल बीमा कम्पनी एग्रीकल्चर इश्योरेंस कम्पनी ऑफ इंडिया लिमिटेड की ओर से वितरित किया जा चुका है। इसी प्रकार खरीफ 2018 में 101072 बीमित कृषकों को 526.97 करोड़ रुपए व रबी 2018-19 में 22617 बीमित कृषकों को 65.96 करोड़ का फसल बीमा क्लेम इफको टोकियो जनरल इश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की ओर से स्वीकृत कर वितरित किया गया है।
……वर्जन….
उठाया फर्जी तरीके से क्लेम
गांव ढंढ़ेला में फर्जी तरीके से फसल बीमा क्लेम उठाने की शिकायत पर इसकी जांच रिपोर्ट आ गई है। इसमें करीब पचास लाख का फर्जी क्लेम उठाने की बातें सामने आई है। संबंधित आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी है। मलसीसर प्रकरण में जल्द एफआईआर करवाने की तैयारी है। इस संबंध में जांच रिपोर्ट लगभग तैयार हो चुकी है।
-दानाराम गोदारा, उप निदेशक, कृषि विभाग हनुमानगढ़

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