सन 2019 में दिग्विजय सिंह ने भिंड में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, भारतीय जनता पार्टी, बजरंग दल पर आरोप लगाया था कि ये लोग पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ से रुपए लेकर भारत की जासूसी करते हैं। इस बयान के विरोध में अवधेश सिंह भदौरिया ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ मानहानि का दावा पेश किया है। इस पूरे मामले में परिवादी के प्रति परीक्षण शुरू हो गए हैं। दिग्विजय सिंह के बयान के बाद बचाव साक्ष्य होने हैं। कोर्ट ने दिग्विजय सिंह के आवेदन को खारिज कर बचाव पर बहस की तारीख निर्धारित की थी। इसी बीच दिग्विजय सिंह ने एक आवेदन पेश किया। उनकी ओर से तर्क दिया गया कि प्रतिवादी को अपने बचाव में किसी को भी बुलाने का हक है। इस हक को समाप्त नहीं किया जा सकता है। युवा मोर्चा के अध्यक्ष ने नियुक्ति पत्र जारी किया था। उनसे पूछना चाहते हैं कि क्या पत्र पर उनके हस्ताक्षर हैं। विशेष आमंत्रित सदस्य को क्या-क्या अधिकार रहते हैं। इस संबंध में बयान दर्ज कराना चाहते हैं। कोर्ट ने दिग्विजय सिंह का आवेदन स्वीकार कर पांच दिसंबर को सतीश सिकरवार को बुलाया है। सतीश सिकरवार को एक हजार रुपए कोर्ट आने का भत्ता भी मिलेगा। यह भत्ता दिग्विजय सिंह को अदा करना होगा।
कोर्ट ने ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की खात्मा रिपोर्ट स्वीकार की
ग्वालियर. विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट (एमपी एमएलए कोर्ट) ने उस खात्मा रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया, जिसमें हजीरा थाना पुलिस ने ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को कोविड-19 की गाइड लाइन के उल्लंघन में क्लीन चिट दी थी। दरअसर 2020 में शहर में कोविड-19 का संक्रमण फैला था। इसी बीच विधानसभा के उप चुनाव थे। प्रद्युम्न सिंह तोमर ने भीड़ इकट्ठा कर ग्वालियर विधानसभा में प्रचार किया। भीड़ इकट्ठा करने के आरोप में हजीरा थाना पुलिस ने तोमर के खिलाफ कोविड-19 की गाइड लाइन उल्लंघन का केस दर्ज किया। पुलिस ने जांच के बाद न्यायालय में खात्मा रिपोर्ट पेश की। पुलिस का तर्क था कि जिस स्थान पर कोविड-19 के उल्लंघन का आरोप लगाया था, वहां लोगों के बयान दर्ज किए। लोगों ने भीड़ इकट्ठा न होना बताया। पुलिस के पास फुटेज भी नहीं थे। कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों के बयान दर्ज करने के बाद खात्मा रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया।
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