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ग्वालियर

थाने में मौत की जांच पर हाईकोर्ट ने उठाए सवाल-कहा, लगता है किसी अफसर को बचाने का किया गया है प्रयास

थाने में मौत की जांच पर हाईकोर्ट ने उठाए सवाल-कहा, लगता है किसी अफसर को बचाने का किया गया है प्रयास

ग्वालियरJan 26, 2019 / 11:51 am

Gaurav Sen

high court gwalior comment on death of man in police station

थाने में मौत की जांच पर हाईकोर्ट ने उठाए सवाल-कहा, लगता है किसी अफसर को बचाने का किया गया है प्रयास

ग्वालियर। हाईकोर्ट ने पुलिस अभिरक्षा में हुई गोलू की मौत के मामले में सीजेएम गुना एसके गुप्ता द्वारा की गई न्यायिक जांच पर सवाल उठाते हुए प्रिंसिपल रजिस्ट्रार विजिलेंस को जांच के निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने विष्णु प्रसाद शर्मा की अपील स्वीकार करते हुए यह आदेश दिए हैं। शर्मा के खिलाफ दर्ज गैर इरादतन हत्या के मामले में विशेष न्यायालय गुना द्वारा उसका अग्रिम जमानत आवेदन खारिज किया गया था। हाईकोर्ट ने सभी तथ्यों को देखकर कहा कि आरोपी को अग्रिम जमानत का लाभ मिलना चाहिए। यह रिपोर्ट विरोधाभासी प्रतीत होती है। ऐसा लगता है कि किसी अधिकारी को बचाने का प्रयास किया गया है।

यह था मामला
विष्णु प्रसाद शर्मा द्वारा मृतक गोलू के खिलाफ कुंभराज थाने में मामला दर्ज कराया गया था। इसमें पुलिस ने गोलू को गिरफ्तार किया था। गोलू की मौत पर पुलिस ने फरियादी विष्णु के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। अपीलकर्ता का कहना था कि हम तो फरियादी थे। पुलिस ने गोलू की मौत पर हमें ही आरोपी बना दिया।

शासन की अपील खारिज कर लगाया 50 हजार का हर्जाना
ग्वालियर। उच्च न्यायालय ने एमके गोस्वामी के मामले में राज्यशासन द्वारा की गई रिट अपील को खारिज करते हुए शासन पर पचास हजार रुपए का हर्जाना लगाया है। हर्जाने की राशि विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने के आदेश देते हुए राज्य शासन को स्वतंत्रता दी है कि वह इस राशि को संबंधित अधिकारियों से वसूल सकता है। न्यायमूर्ति संजय यादव एवं न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने शासन की अपील को खारिज करते हुए कहा कि शासन यह बता पाने में असमर्थ रहा कि एमके गोस्वामी को दी गई पदोन्नति को क्यों निरस्त किया गया है। इस मामले में शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता प्रवीण नेवास्कर तथा प्रतियाचिकाकर्ता गोस्वामी की ओर से डीपी सिंह ने पक्ष रखा। उच्च शिक्षा विभाग में निम्न श्रेणी लिपिक एमके गोस्वामी को उच्च श्रेणी के पद पर पदोन्नति दी गई थी। इसके बाद उन्हें लेखापाल के पद पर पदोन्नत किया गया था।

फिर उन्हें मुख्यलिपिक के पद पर पदोन्नति दी गई थी। शासन द्वारा उनके सेवानिवृत्त होने के बाद में प्रमोशन निरस्त कर दिए गए । शासन ने उनके स्वत्वों का निर्धारण भी नहीं किया। इसके खिलाफ गोस्वामी द्वारा याचिका प्रस्तुत की गई थी। इस पर उच्च न्यायालय ने प्रमोशन निरस्त किए जाने के आदेश को खारिज करते हुए उन्हें सभी सत्वों का भुगतान करने के आदेश दिए थे। शासन द्वारा एकल पीठ के इस आदेश के खिलाफ रिट अपील की थी जिस पर युगलपीठ ने अपील को खारिज करते हुए 50 हजार का हर्जाना शासन पर लगाया है।

लगता है निगम के अधिकारियों में इच्छाशक्ति की कमी है : कोर्ट
ग्वालियर। उच्च न्यायालय ने शहर के होर्डिंग्स मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि होर्डिंग्स हो या तलघर में पार्किंग का मामला, ऐसा लगता है कि निगम के अधिकारियों में इच्छाशक्ति की कमी है। न्यायालय ने सुरक्षा को देखते हुए सभी होर्डिंग्स के फिजिकल वेरिफिकेशन की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश निगम को दिए हैं।

न्यायमूर्ति संजय यादव एवं न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की युगलपीठ ने होर्डिंग्स मामले में निगम की कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने होर्डिंग्स पर सुरक्षा के मामले में निगम के रवैये पर यह भी कहा कि लगता है कि जान की कोई कीमत नहीं है। सुरक्षा के मामले में सख्त होते हुए न्यायालय ने फिजिकल वेरिफिकेशन रिपोर्ट पेश करने के निर्देश देते हुए निगम के अधिवक्ता से कहा कि अवैध रूप से होर्डिंग्स, पोस्टर और बैनर लगाने वालों पर निगम एक्ट के तहत क्या कार्रवाई की है, उसकी रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी दिए हैं। निगम ने पिछली सुनवाई पर कहा था कि निगम ने संपत्ति विरूपण अधिनियम के तहत अवैध रूप से होर्डिंग्स लगाने वालों पर कार्रवाई की है। इस मामले में शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी एवं निगम की ओर से दीपक खोत ने पैरवी की।

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