ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी लड़कियों का शिक्षा स्तर सीमित
ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियो को स्कूल की सीढ़ी नहीं चढऩे दी जाती। अगर कुछ लड़कियां स्कूल तक पहुंच भी जाती हैं तो उन्हें घर के कामकाज में इतना समय नहीं मिलता कि पढ़ाई कर सकें। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर सुधरने के लिए अभी बहुत प्रयास करना होगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी लड़कियों का शिक्षा स्तर सीमित
ग्वालियर. चाइल्ड एजुकेशन में सुधार के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत देखना हो तो ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर देखें। वहां आज भी लड़कियां घर के काम-काज तक सीमित हैं। उन्हें स्कूल की सीढ़ी नहीं चढऩे दी जाती। अगर कुछ स्कूल तक पहुंच भी जाती हैं तो उन्हें घर में इतना समय नहीं मिलता कि पढ़ाई कर सकें। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर सुधरने में समय लगेगा। लड़कियां पढ़ें और अपने पैरों पर खड़े हों, इसके लिए कई सामाजिक कार्यकर्ता और संस्थाएं काम कर रही हैं। इन्ही में एक सामाजिक कार्यकर्ता गीतांजलि गिरवाले भी हैं जो गांव में जाकर लोगों को शिक्षा के मायने और उसके फायदे समझाती हैं। अगर बिटिया पढ़ेगी तो उनका नाम रोशन करेगी। इस मुद्दे पर पत्रिका एक्सपोज ने उनसे बातचीत की।
– ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर आज भी ठीक नहीं है, इसके लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
– यह सही है कि ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा का स्तर निम्न है। मैं ग्रामीण क्षेत्रों में जाती हूं तो देखती हूं कि लड़कियां सही तरीके से हिन्दी भी नहीं पढ़ पाती हैं। उनके माता-पिता को समझाते हैं। लडक़ी को बताते हैं कि पत्रिकाएं या अखबार रोज पढ़ें, ताकि उनकी हिन्दी सही हो।
– शिक्षा का स्तर सुधरे, इसके लिए क्या प्रयास होने चाहिए?
– शिक्षा का स्तर तभी सुधर सकता है, जब माता-पिता जागरूक होंगे। इसलिए माता-पिता की काउंसलिंग करनी चाहिए। उन्हें समझाना चाहिए कि शिक्षा कितनी जरूरी है। नुक्कड़ नाटक या अन्य कई कार्यक्रम कर लड़कियों को शिक्षा से जोड़ा जाए।
– महिला सशक्तिकरण को लेकर क्या कहना चाहेंगी?
– हम बात करते हैं महिलाओं को पुरुषों के बराबर दर्जा दिया जा रहा है, लेकिन जब मुखिया की बात आती है तो हमारी योग्यता को दरकिनार कर दिया जाता है। मुखिया का पद पुरुषों को ही मिलता है, इसलिए एक प्रोजेक्ट तैयार कर महिलाओं को बाहर लाना होगा। महिलाओं को भी प्रयास करने चाहिए कि वह एक दूसरे को आगे बढ़ाएं। वह घर में अपनी बात रखें। घर में कई निर्णय लिए जाते हैं, वह निर्णय महिलाओं को लेना चाहिए।
– युवा पीढ़ी को इसके लिए क्या करना होगा?
– युवा पीढ़ी से कहना चाहूंगी कि वह अपनी आवाज को दबाएं नहीं। खासकर लड़कियां निर्भीक बनें। अपनी बात को सबके सामने रखें। मां-बाप को भी चाहिए कि वह लड़कियों को फ्रीडम दें। घर की चार दीवारी तक सीमित न रखें। लड़कियां अपनी भावना और आवाज को बुलंद करना सीखें।
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