23 साल बाद दोषमुक्त हुए सांसद अफजाल
साल 2001 में तत्कालीन समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के प्रदेश बंद के आह्वान पर गाजीपुर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। इस दौरान, अफजाल अंसारी ने मंडी समिति से सैकड़ों समर्थकों के साथ जुलूस निकाला और तहसील में पहुंचकर एसडीएम कार्यालय में नारेबाजी की। प्रदर्शन के दौरान तहसील परिसर में तोड़फोड़ हुई थी। इसे लेकर अफजाल अंसारी और अन्य के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। आज इस मामले में सुनवाई के बाद सीजेएम कोर्ट ने अफजाल अंसारी और उनके सहयोगियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया। कोर्ट के फैसले के बाद अंसारी ने इसे न्याय की जीत बताया।
न्यायपालिका पर था भरोसा: अफजाल अंसारी
मीडिया से बात करते हुए अफजाल अंसारी ने कहा कि यह मामला उस समय की भाजपा सरकार द्वारा समाजवादी पार्टी की आवाज दबाने के लिए बनाया गया था। उन्होंने कहा कि आरोप राजनीति से प्रेरित थे और अब न्यायालय ने उन्हें दोषमुक्त कर दिया है।
अंसारी ने संभल की घटना पर भी टिप्पणी की, जहां समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल को रोका गया। उन्होंने इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताते हुए कहा कि सरकार ने जनता का ध्यान भटकाने के लिए ऐसा किया। महाराष्ट्र चुनावों का जिक्र करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि वहां महिलाओं को पिस्तौल दिखाकर डराया गया और मतदाताओं को धमकाया गया।
लोकतंत्र का गला घोंटने का लगाया आरोप
अंसारी ने यह भी आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार लोकतंत्र का गला घोंटने पर उतारू है। उन्होंने कहा कि रात में लोगों के घरों में घुसकर उत्पात मचाया जा रहा है और दिन में मार्च किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार को फटकार लगाई है, लेकिन सरकार के रवैये में कोई सुधार नहीं हुआ है।
सत्ता में बदलाव अत्याचारी भुगतेंगे खामियाजा
अंसारी ने यह भी कहा कि आज अधिकारियों द्वारा प्रतिनिधिमंडल को रोकना निंदनीय है लेकिन यह अंतिम सरकार नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि सत्ता में बदलाव होगा और जो लोग वर्तमान में अत्याचार कर रहे हैं, उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र के खिलाफ हो रहे इन कदमों का हिसाब इतिहास में जरूर लिया जाएगा।