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गाज़ियाबाद

विधानसभा में इस वजह से भाजपा विधायक अपनी ही सरकार के खिलाफ बैठे धरने पर

Highlights
. लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर व उनके समर्थकों पर रिपोर्ट दर्ज होने का मामला फिर से गरमाया . विधायक के पक्ष में आए सत्ता दल और विपक्ष के नेता. फूड इंस्पेक्टर ने विधायक पर दर्ज कराई थी एफआईआर

गाज़ियाबादDec 18, 2019 / 11:56 am

virendra sharma

गाजियाबाद। लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर व उनके समर्थकों पर रिपोर्ट दर्ज होने का मामला मंगलवार को एक बार फिर से गरमा गया है। नंदकिशोर गुर्जर ने उत्पीड़न के मामले में अपनी ही सरकार के खिलाफ विधानसभा में प्रदर्शन किया तो उनके पक्ष में सत्ता दल और विपक्ष के विधायक आ खड़े हुए। उत्पीड़न के मामले में नंदकिशोर ने सदन में कई बार बोलने का प्रयास किया। लेकिन उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया। जिसके बाद उनके सुर बगावती दिखाई दिए। हालांकि इस मामले में मंगलवार को एसएसपी गाजियाबाद ने पूरे मामले की रिपोर्ट शासन को सौंप दी हैं।
बता दें कि 27 नंवबर को लोनी में तैनात फूड इंस्पेक्टर आशुतोष सिंह का एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें आरोप है कि लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर के प्रतिनिधि ललित शर्मा ने फूड इंस्पेक्टर को फोनल कर होटल सलाम में बुलाया। यहां फूड इंस्पेक्टर पर जबरन मीट की दुकान बंद कराने और मीट के होटलों के लाइसेंस न बनाने का दबाव डाला गया। आरोप है कि उन्होंंने कानून के दायरे में रहकर कार्य करने के लिए कहा। इस मामले में एसपी नीरज जादौन की संस्तुति पर विधायक व उनके प्रतिनिधि और अन्य समर्थकों पर आईपीसी की धारा 147, 148, 323, 504, 506 और 332 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मामले में शासन ने गाजियाबाद के एसएसपी से पूरी रिपोर्ट मांगी थी। इस मामले मेंं गाजियाबाद के एसएसपी ने रिपोर्ट शासन को सौंप दी है।
इस मामले में पुलिस ने उनके कई समर्थकों को जेल भेजा था। भाजपा ने नंद किशोर गुर्जर को कारण बताओं नोटिस जारी किया है। हालांकि, नंदकिशोर गुर्जर शुरू से ही भाजपा नेताओं की साजिश बता रहे थे। उन्होंने पहले ही पार्टी पदाधिकारियों पर साजिश के तहत मुकदमा दर्ज कराने का आरोप लगाया था। उन्होंने संगठन मंत्री का नाम लेकर पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष और पूर्व नगरपालिका चेयरमैन पर एफआईआर दर्ज कराने के आरोप लगाए।
2017 में रख गई थी नींव

विधानसभा में अपनी ही सरकार के खिलाफ उतरे लोनी विधायक का मामला यह बिल्कुल नया हो, लेकिन सुत्रों बताते है कि पूरी पटकथा 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान रच गई थी। उसी दौरान पार्टी के कुछ नेताओं ने उन्हें न देने की शिकायत हाईकमान से की थी। लेकिन तीन शीर्ष नेताओं की पैरवी के चलते उनका टिकट नहीं कट सका। तभी से ही स्थानीय नेताओं के बीच में खींचा—तानी चली आ रही थी।

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