इस दौरान जनरल वी.के सिंह ने कहा कि मैं पावन चिंतन धारा जब भी आता हूँ तो लगता है यहां से एक चिंतन धारा पावन हो कर समाज में निकलती है। उन्होंने आगे कहा कि फौज में एक खासियत यह होती है कि एक साल की ट्रेनिंग में सभी सैनिक जाति, धर्म इत्यादि भूल केवल देश सेवा को याद रखते हैं। यह विचार सभी में होना चाहिये। लेकिन कुछ लोग केवल स्वार्थ की भावना से भरे हैं वह देश को भी अपने स्वार्थ के आगे नुकसान पहुंचाने में पीछे नहीं हटते।
उन्होंने कहा कि 1947 में जब पाकिस्तान बना तो वह धर्म के आधार पर बना। उस समय भी यहां के मुसलमानों से कहा गया कि वह चाहे तो पाकिस्तान चले जाएं पर वहां नहीं गए। क्योंकि वह जानते थे कि भारत में जितने सुरक्षित हैं और कहीं नहीं। 1947 में पाकिस्तान में 27% हिन्दू थे. जो आज केवल 3% रह गए। यही हाल बांग्लादेश और अफगानिस्तान का है। यह स्पष्ट है कि इन देशों ने अपने अल्पसंख्यकों की रक्षा नहीं की, इसलिये भारत ने यह कदम उठाया है। जिसके लिये मनमोहन सिंह जी ने प्रधानमंत्री रहते हुए चिंता जाहिर की थी। यह कानून ऐसे ही नहीं बना है, संसदीय कमेटी में जिसमें सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि थे, उनके दो वर्षों की बैठकों के सुझावों और लोकसभा के दोनों सदनों में पारित होने पर लागू किया गया है। विपक्षी दल जानबूझ कर भ्रम फैला रहे हैं। जिससे नुकसान किसी का नहीं बल्कि इस देश का हो रहा है।