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चुनाव के बाद सरकार की जेब में बढ़ सकता है कैश
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक यानी भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति ने कहा, “अप्रैल माह से ही सरकारी खर्च में भारी गिरावट हुर्इ है। इसका नतीजा यह हुआ है कि बैंकिंग सिस्टम में तरलता में तेजी आर्इ है।” परेशानी की बात यह है कि तरलता में थोड़ी भी कमी की वजह से अाम लोगों तक ब्याज दरों में कटौती का पूरा फायदा नहीं मिल सकेगा। कोटक महिंद्रा बैंक के एक अधिकारी ने बताया कि सरकारी खर्च में मंदी ही सबसे बड़ा फैक्टर है जिसकी वजह से बैंकिंग सिस्टम में नकदी की कमी देखने को मिली है। आने वाले दो सप्ताह में हम उम्मीद करते हैं कि इसमें कुछ सुधार देखने को मिल सकता है। इसमें सुधार की प्रमुख वजह वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कलेक्शन आैर कर्इ तरह की निलामीयों की वजह से हो सकती है।
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डिपाॅजिट ग्रोथ से अधिक है क्रेडिट ग्रोथ
अप्रैल माह की तुलना में नकदी की कमी में गिरावट आर्इ है। पिछले माह भारतीय बाजार में तरलता की कुल कमी करीब 1.49 लाख करोड़ रुपए रही थी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआर्इ) की तरफ से उठाए कदम के बाद इस कमी आैर इजाफा हुआ था। हालांकि, 23 मर्इ को लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद बाजार में नकदी की कमी खत्म हो सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक की डेटा के मुताबिक, 13 मर्इ तक सरकार के पास कुल 44,315 करोड़ रुपए की नकदी थी।
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