रक्षाबंधन के मुहूर्त को लेकर असमंजस खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। इस पर अलग-अलग पुजारियों की राय अलग है। इसी कड़ी में राम जन्मभूमि के मुख्य पूजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने अपनी राय जाहिर की है। उनका कहना है कि 31 अगस्त को रक्षाबंधन मनाना ठीक नहीं है।
30 अगस्त को भद्रा के बाद ही मनाएं रक्षाबंधनः शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद
आदि शंकराचार्य के स्थापित चार पीठों में से एक ज्योतिर्मठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को लग रही है। लेकिन इसी दिन भद्रा लग रही है और भद्रा में रक्षाबंधन नहीं होता है, जो सूर्योदय के हिसाब से अलग-अलग शहरों में कुछ अंतर तक चलेगी।
सामान्य तौर पर भद्रा 30 अगस्त रात 9.00 बजे के आसपास है, इसलिए नौ बजे के बाद रक्षाबंधन मना सकते हैं। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि सूर्योदय व्यापिनी तिथि में पूर्णिमा मानना चाहिए, लेकिन कुछ कार्यों को छोड़कर बाकी के लिए तिथि का तीन प्रहर सूर्योदय के बाद पूर्णिमा होना चाहिए और 31 अगस्त को ऐसा नहीं हो रहा है। इसलिए रक्षाबंधन तीस अगस्त को ही मनाना चाहिए।
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पंचांग के अनुसार, श्रावण पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 30 अगस्त सुबह 10.59 बजे हो रही है और यह तिथि 31 अगस्त सुबह 7.06 मिनट तक रहेगी। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पूर्णिमा तिथि पर शाम की पूजा का विशेष महत्व है, इसलिए 30 अगस्त को पूर्णिमा व्रत रखा जाएगा। हालांकि स्नान दान का महत्व उदयातिथि में होता है इसलिए 31 अगस्त को स्नान दान किया जाएगा।
इसी दिन रक्षाबंधन
ग्रंथों के अनुसार सावन पूर्णिमा पर ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। हालांकि इस साल पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्राकाल लग जा रहा है, जिसमें राखी नहीं बांधी जाती है। रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रात 9.02 बजे तक रहेगा। इसलिए बहनें 30 अगस्त रात 9.02 मिनट से मध्यरात्रि 12.28 मिनट के बीच राखी बांधी जा सकेगी।