scriptguru purnima 2019 : केवल सद्गुरु के पूजन से प्रसन्न हो जाते हैं, ब्रह्मा, विष्णु और महेश, इस दिन है गुरु पूर्णिमा पर्व | guru purnima 16 july 2019 | Patrika News
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guru purnima 2019 : केवल सद्गुरु के पूजन से प्रसन्न हो जाते हैं, ब्रह्मा, विष्णु और महेश, इस दिन है गुरु पूर्णिमा पर्व

guru purnima का पर्व 16 जुलाई, दिन मंगलवार को मनाया जायेगा

Jun 25, 2019 / 03:27 pm

Shyam

guru purnima 2019

guru purnima 2019 : केवल सद्गुरु के पूजन से प्रसन्न हो जाते हैं, ब्रह्मा, विष्णु और महेश, इस दिन है गुरु पूर्णिमा पर्व

गुरु साक्षात परंब्रह्म हैं

साल 2019 में गुरु पूर्णिमा ( guru purnima ) पर्व 16 जुलाई दिन मंगलवार को आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का विशेष पर्व मनाया जायेगा। गुरु पूर्णिमा के महत्व में बारे में सभी धर्म और शास्त्र एक स्वर में कहते हैं कि अपने सद्गुरु के प्रति आदर-सम्मान के साथ उनके बताएं मार्ग पर चलने और उनके कार्य जनकल्याण के कार्य में अगर कोई शिष्य सब कुछ अर्पण कर दें वह भी कम होता है। शास्त्रों में सद्गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानी की साक्षात परंब्रह्म कहा गया हैं।

 

भारतीय संस्कृति में सदियों से आज तक सद्गुरु को ईश्वर का प्रतिनिधि मानकर पूजा जाता है। सद्गुरु ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान परम पूज्यनीय हैं। वेद, उपनिषद और पुराणों का प्रणयन करने वाले वेद व्यास जी को समस्त मानव जाति का गुरु माना जाता है। कही भी गया है-
गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु अपने गोविन्द दियो बताय।।

 

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आषाढ़ पूर्णिमा – गुरु पूर्णिमा पर्व

महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को लगभग 3000 ई. पूर्व में हुआ था। उनके सम्मान में ही हर वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है । वेद, उपनिषद और पुराणों का प्रणयन करने वाले वेद व्यास जी को समस्त मानव जाति का गुरु माना जाता है।

 

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गुरु पूर्णिमा का महत्व

अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः।।

अर्थात- अज्ञानरूपी अंधकार से अंधे हुए जीव की आंखें जिसने ज्ञानरूपी काजल की शलाका से खोली है, ऐसे श्री सदगुरु को प्रणाम है।

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गुरु पूर्णिमा के दिन हजारों, लाखों शिष्य अपने अपने सदगुरु, गुरु जो स्थूल काया हैं उनकी भी और जो सदगुरु ब्रह्मलीन हो गये गुरु की पादुकाओं, मुर्तियों, फोटों की विशेष पूजन वंदना करेंगे। शास्त्रों में गु शब्द का अर्थ अंधकार और रु शब्द का अर्थ- उसका निरोधक बताया गया है। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है। अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को ‘गुरु’ कहा जाता है।

“गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णुः गुरूर्देवो महेश्वरः।
गुरू साक्षात् परंब्रह्म तस्मै श्री गुरूवे नमः।।

 

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बच्चे को जन्म भले ही मां-बाप देते हों लेकिन उसको जीवन का अर्थ और इस संसार के बारे में समझाने का कार्य गुरु कराता है। गुरु को ब्रह्मा, विष्ण और शिव कहा गया है- जिस प्रकार ब्रह्मा जीव का सर्जन करते हैं, विष्णु जी पालन करते है और शिवजी कल्याण के साथ संहार भी करते हैं यही तीनों कार्य गुरु अपने शिष्य के निर्माण करते हैं। हमारी आत्मा को ईश्वर रूपी सत्य का साक्षात्कार करने का कार्य केवल और केवल सदगुरू ही कर सकते हैं।

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गुरु पूर्णिमा पूजा विधि

शास्त्रों में गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजा की विधि इस प्रकार बताई गई है कि सुबह स्नान ध्यान करके भगवान विष्णु, शिवजी की पूजा करने बाद गुरु बृहस्पति, महर्षि वेदव्यास की पूजा करें इसके बाद अपने गुरु की पूजा करें। गुरु को फूलों की माला पहनाएं और मिष्ठान, वस्त्र, धन के अलावा गुरु को शिष्य दक्षिणा के रूप में अपनी कोई बुराई अर्पित करन गुरु का आशीर्वाद ग्रहण करें।

 

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गुरु मंत्रों का जप

गुरु पूर्णिमा के दिन सद्गुरु के द्वारा दिये गुरु मंत्रों का जप करना चाहिए। इससे जीवन में आने वाली ज्ञात-अज्ञात बाधाओं से सद्गुरु बचा लेते हैं। अगर किसी को गुरु मंत्र याद न हो गायत्री मंत्र जो स्वयं सिद्ध गुरु मंत्र है, का जप करना चाहिए।

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