रावण को कैसे मिला रावण नाम (How did Ravana get the name Ravana?)
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार रावण ने देवाधि देव महादेव की असीम तपस्या की थी। उसने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया। मान्यता है कि रावण ने अपने 9 सिरों को काट कर भगवान शिव की चढ़ा दिया। महादेव रावण की भक्ति से खुश हुए और उसे शक्तियां प्रदान कीं। मान्यता है कि एकबार रावण भगवान शिव की दी हुई शक्तियों का प्रदर्शन करते हुए कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास किया। जब कैलाश पर्वत हिलने लगा तो पर्वत पर रहने वाले चराचर जीवों में हड़कंप मच गया और वह भगवान शिव के पास पहुंचे। भगवान शिव यह देखकर क्रोधित हो गए और अपने अंगूठे से पर्वत को नीचे दबा दिया। रावण इस भारी दबाव में पीड़ा से कराहने लगा और जोर-जोर चिल्लाने लगा। उसकी कराहट और चीख सुनकर भगवान शिव ने उसे रावण नाम दिया। यही वजह से भगवान शिव ने रावण को रावण नाम दिया था। इससे पहले रावण को दशग्रीव के नाम से जाना जाता था।
माना जाता है कि इस घटना के बाद रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तांडव स्तोत्र की रचना की। इसके बाद शिव से वरदान प्राप्त किया। शिव के इस वरदान ने उसे अपार शक्ति और लंका पर राज करने का सामर्थ्य दिया। हालांकि रावण का यह नाम उसकी अद्वितीय भक्ति और अहंकार दोनों का प्रतीक बन गया।
रावण से जुड़ी मुख्य बातें (Main things related to Ravana)
रावण भगवान शिव का महान भक्त था और उसने शिवलिंग की स्थापना भी की थी। रावण ने कई वेदों और शास्त्रों का अध्ययन किया था। उसे ब्रह्मज्ञानी भी कहा जाता है। रावण के दस सिर उसके ज्ञान और शक्ति का प्रतीक थे।
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