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इसलिए उठाया गया ये कदम
पिछले साल अप्रैल में ही अमरीका ने ऐलान कर दिया था कि वह भारत और तुर्की को मिलने वाली राहत पर विचार करेगा क्योंकि अमरीका की कुछ डेयरी और मेडिकल कंपनियों ने शिकायत की थी कि इससे स्वदेशी कारोबार पर गहरा असर पड़ रहा है। ट्रंप के इस फैसले की जानकारी यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव रॉबर्ट लाइट्जर ने दी है।
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क्या है GSP?
आपको बता दें कि जेनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस एक अमरीकी ट्रेड प्रोग्राम है जिसके तहत अमरीका विकासशील देशों में आर्थिक तरक्की के लिए अपने यहां बिना टैक्स सामानों का आयात करता है। अमरीका ने दुनिया के 129 देशों को यह सुविधा दी है जहां से 4800 प्रोडक्ट का आयात होता है। अमरीका ने ट्रेड एक्ट 1974 के तहत 1 जनवरी 1976 को जीएसपी का गठन किया था।
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भारत को होगा इतना नुकसान
जीएसपी समाप्त होने से भारत और तुर्की के लगभग 2 हजार प्रोडक्ट्स प्रभावित होंगे। इनमें ऑटो पार्ट्स, इंडस्ट्रियल वॉल्व और टेक्सटाइल मैटीरियल प्रमुख हैं। हालांकि राष्ट्रपति ये फैसला वापस भी ले सकते हैं, लेकिन इसके लिए भारत और तुर्की को अमरीकी प्रशासन की चिंताओं को दूर करना होगा। भारत से अमरीका ने 76.7 बिलियन डॉलर का आयात बिना किसी टैक्स के किया था जबकि तुर्की पांचवें स्थान पर था जहां से 1.7 बिलियन डॉलर का ड्यूटी फ्री आयात किया गया था।
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नरेंद्र मोदी की बढ़ीं मुश्किलें
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने फैसले से पहले कहा कि भारत ने हमें इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं किया कि वह अपने बाजार में भी हमारे प्रोडक्ट की पहुंच कहां तक और कितना आसान बनाएगा। ट्रंप का यह फैसला ऐसे वक्त में सामने आया है जब भारत में आम चुनाव है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यह मुश्किल हो सकता है क्योंकि उन्हें चुनावी माहौल में देश की आर्थिक प्रगति की चिंता सता सकती है। भारत और पर अमरीका के इस फैसले का गहरा असर देखा जा सकता है।
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