1. महाराजा चौक से जेल तिराहा होकर सिविल लाइन की ओर जाने वाले यातायात महाराजा चौक से कसारीडीह होकर सिविल लाइन की ओर आवागमन कर सकते हैं।
2. सेक्टर एरिया-तालपुरी से ठगड़ाबांधा होकर जेलतिराहा की ओर जाने वाली यातायात, 32 बंगला से होकर वाय शेप ब्रिज से दुर्ग की ओर आवागमन कर सकते है।
3. हिन्दी भवन(गांधी मूर्ति) से जेल तिराहा की ओर जाने वाला यातायात, बस स्टैंड-मालवीय नगर चौक-वाय शेप ब्रिज होकर आवागमन कर सकते है।
4. दुर्ग शहर के भीतर भारी वाहन का प्रवेश पूणर्: प्रतिबंधित रहेगा* जिसमें भारी वाहनों को पंथी चौक सेक्टर10, गुरुद्वारा चौक नेहरू नगर, धमधा नाका ब्रिज, अंजोरा बायपास मोड़, पुलगांव चौक एवं महाराजा चौक से डायवर्ट किया जाएगा। अत: भिलाई से बालोद व राजनांदगाँव जाने वाले वाहन बायपास रोड से आवागमन कर सकते है।
पूर्व मुख्यमंत्री वोरा को कुछ महीने पहले कोरोना हुआ था, लेकिन वे इससे उबरकर स्वस्थ चुके थे। हालांकि उसके बाद से ही उनकी तबीयत लगातार बिगड़ रही थी। बताया जाता है कि बीच-बीच में उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा था। पिछले करीब सप्ताहभर से उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी। इस कारण उन्हें दिल्ली के एस्कार्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। वोरा के निधन की खबर से उनके गृह जिला दुर्ग के अलावा छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में शोक की लहर दौड़ गई।
वोरा की तबीयत बिगडऩे के बाद से उनके विधायक पुत्र अरुण वोरा परिवार के साथ पिछले एक हफ्ते से दिल्ली में है। वहीं उनके बड़े पुत्र अरविंद वोरा भी सोमवार को दिल्ली रवाना हो गए। महापौर धीरज बाकलीवाल भी दिल्ली में है।
दिवंगत नेता मोतीलाल वोरा प्रदेश कांग्रेस के पितामह की तरह थे। लंबे राजनीतिक जीवन में प्रदेश के सभी आला व आम नेता से लेकर कार्यकर्ताओं तक उनका सानिध्य रहा। लिहाजा उनके दौर के वरिष्ठ नेताओं के साथ मौजूदा दौर में राजनीति शुरू करने वाले सभी छोटे-बड़े कार्यकर्ता सम्मान के रूप में बाबूजी कहकर पुकारते थे।
वोरा ने 1968 में समाजवादी नेता के रुप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। इससे पहले वे एक प्रतिष्ठित दैनिक अखबार के प्रखर पत्रकार भी रहे। वर्ष 1999 में राजनांदगांव से लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस के केंद्रीय संगठन में सक्रिय हो गए। उन्होंंने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व लम्बे समय तक कोषाध्यक्ष का पद संभाला।