बेलंदूर और वरतूर झीलों में झाग और आग लगने की वारदातें होती रहती है। कचरा निस्तारण समस्या के साथ यह एक नई समस्या खड़ी हो गई है। झीलों की रक्षा और इसके विकास के लिए हर साल करोड़ों रुपए जारी करने के बावजूद झीलों की रक्षा नहीं हो पा रही है।
उन्होंने कहा कि झीलों की रक्षा के लिए नागरिकों के सहयोग की जरूरत को देखते हुए कुछ एसोसिएशन को जिम्मेदारी देने पर विचार किया जारहा है। इन एसोसिएशंस को दिन-रात में निगरानी रखनी होगी। इसके लिए समय तय करने का अधिकार एसोसिएशंस को होगा। झीलों की रक्षा के लिए चौकीदारों को भी रखा गया है। उन्होंने कहा कि झील के तट पर कचरा फेंकने पर एक ठेकेदार को पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया। एक नागरिक की सूचना पर ठेकेदार पर जुर्माना किया गया था। कुछ नागरिकों की सूचना पर ही झीलों के पास कचरा फेंकने पर अभी तक जुर्माने के रूप मं ६५ लाख रुपए संग्रहित किएगए हैं। ऐसी कार्रवाई से झील किनारे कचरा फेंकने में कमी आई है।
उन्होंने कहा कि बेलंदूर, वरतूर और अन्य झीलों में हमेशा के लिए झाग और आग लगने की घटनाओं की रोकथाम के लिए स्थाई रूप से कोई योजना बनाई जाएगी। इसके लिए कई विदेशी और देसी कंपनियों से सुझाव मांगा गया है। उन्होंने कहा कि कई कारखानों, कंपनियों और अन्य उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषति पानी और रसायन की पाइप लाइनें झीलों से जुड़ी हैं। झीलों का पानी प्रदूषित होने से कई मछलियां मर रही हैं। इसकी रोकथाम के लिए झीलों के निकट मल-जल संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं। अभी तक ३२ संयत्र स्थापित हो चुके हैं। इस काम पर ६० करोड़ रुपए खर्च किए गए हंै।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक राज्य प्रदूषण मियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन लक्ष्मण को निर्देश दिए गए हैं कि झीलों को प्रदूषित कर रहे कारखानों, कंपनियों और अन्य संस्थानों का पता लगाए और अपने अधिकार का इस्तेमाल कर उन पर प्रतिबंध लगाएं। बैठक में बेंगलूरु जल बोर्ड के चेयरमैन, पालिका आयुक्त और अन्य विभागों के कई अधिकारी उपस्थित थे।