भाजपा के एक नेता ने कहा कि हाल के चुनावों में भले ही बी.श्रीरामुलू को झटके लगे हैं और वे चुनाव हार गए, लेकिन पार्टी उनकी ताकत जानती है। अगर वह पार्टी छोड़ते हैं तो यह भारी झटका होगा। भाजपा श्रीरामुलू को नाराज नहीं करना चाहती। यही वजह है कि श्रीरामुलू के बयान के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनसे बात की और शांत कराने की कोशिश की। दरअसल, श्रीरामुलू और जनार्दन रेड्डी ने मिलकर बल्लारी में पार्टी को मजबूत किया था। खासकर जब सुषमा स्वराज वर्ष 1999 में सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लडऩे उतरीं तब एक हाई-वोल्टेज मुकाबला हुआ। एक समय श्रीरामुलू भाजपा में उप मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार बने। हाल के विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मिली हार के बावजूद वह पार्टी में उनका कद कम नहीं हुआ है।
सूत्रों का कहना है कि फिलहाल पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष विजयेंद्र ने बैठक बुलाई थी जिसमें अधिकांश नेताओं ने उनका समर्थन किया। निर्वाचित प्रतिनिधियों और अधिकांश नेताओं का समर्थन होने के बावजूद उनका राह आसान नहीं है। पार्टी के सामने चुनावों से बचने के लिए आम सहमति बनाना एक बड़ी चुनौती है। अगर आम सहमति नहीं बनी तो मतभेद और गहरे होंगे। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से ही होने की पूरी संभावना है। पार्टी अप्रिय प्रतिद्वंद्विता से बचने की कोशिश करेगी। वरिष्ठ भाजपा नेता और एमएलसी एन रवि कुमार ने कहा कि सभी दलों में समस्याएं हैं। उन्हें विश्वास है कि पार्टी एक जिम्मेदार और प्रभावी विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए जरूरी सुधारात्मक कदम उठाएगी।