इस कैंसर में शरीर नहीं बना पाता नई रक्त कोशिकाएं
एक्सपर्ट इंटरव्यू…कैंसर में बोनमैरो की कार्यप्रणाली पर असर पडऩे से प्लेटलेट्स भी नहीं बन पाती हैं।
एप्लास्टिक एनीमिया कैंसर क्या होता है?
एप्लास्टिक एनीमिया कैंसर में बोनमैरो में मौजूद स्पंजी तत्त्व नई रक्त कोशिकाएं (लाल, सफेद कोशिकाएं और प्लेटलेट्स) बनाना बंद कर देते हैं। कुछ मामलों में केवल एक या कुछ में तीनों तरह की रक्त कोशिकाओं का निर्माण बाधित हो जाता है। यह रोग धीरे-धीरे विकसित होकर अचानक से गंभीर स्थिति में सामने आता है। यह किसी भी उम्र में हो सकता है।
रोग के प्रमुख लक्षण क्या हैं?
चक्कर आने के अलावा सांस लेने में तकलीफ, अनियमित हृदयगति या इसका तेज होना, त्वचा के रंग में बदलाव, किसी भी संक्रमण के संपर्क में आसानी से आना, बिना कारण अधिक थकान महसूस होना, नाक या मसूढ़ों से खून आना, किसी भी चोट से सीमित समय में रक्त बहना न रुकना, सिरदर्द या फिर बार-बार उल्टी का मन होना।
किन्हेें इसका खतरा अधिक होता है?
इसके मामले महिला और पुरुष दोनों में बराबर होते हैं। लेकिन युवावस्था के दौरान यह ज्यादा होती है। ऐसे व्यक्ति जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कम हो उनमें इसके होने की आशंका बढ़ जाती है। खासकर एचआईवी या अन्य गंभीर बीमारियों के रोगी। कैंसर रोगी जो रेडिएशन और कीमोथैरेपी ले चुके हैं उनमें भी इस रोग का खतरा रहता है।
इस रोग के मरीज को क्या खाना चाहिए?
एप्लास्टिक एनीमिया कैंसर की पुष्टि होने के बाद रोगी को इलाज के साथ अपने खानपान पर विशेष ध्यान देना होता है। खाने में ज्यादातर वे चीजें ही खानी चाहिए जिससे शरीर को सभी जरूरी पौषक तत्व जैसे कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन्स मिल सकें। बीमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण होती है इसलिए शरीर का मजबूत रहना बहुत जरूरी होता है।
रोग का इलाज क्या है?
शुरुआती स्तर पर रोग की पहचान हो जाए तो दवाओं से व बोनमैरो के जरिए ब्लड सेल्स बनाने की क्षमता बढ़ाई जाती है। अन्य इलाज में ब्लड ट्रांसफ्यूजन, बोनमैरो ट्रांसप्लांट और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट उपयोगी है। हालांकि दूसरी स्टेज में बीमारी का पता चलने पर इलाज थोड़ा कठिन हो जाता है।
डॉ. संदीप जसूजा, कैंसर रोग विशेषज्ञ
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