scriptअच्छी नहीं हाेती टायफॉइड में लापरवाही, डाॅॅॅक्टरी जांच है जरूरी | Negligence in typhoid is not good, medical examination is necessary | Patrika News
रोग और उपचार

अच्छी नहीं हाेती टायफॉइड में लापरवाही, डाॅॅॅक्टरी जांच है जरूरी

दूषित पानी और खानपान की वजह से होने वाली बीमारी टायफॉइड साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया से होती है

Nov 30, 2018 / 02:05 pm

युवराज सिंह

typhoid

अच्छी नहीं हाेती टायफॉइड में लापरवाही, डाॅॅॅक्टरी जांच है जरूरी

दूषित पानी और खानपान की वजह से होने वाली बीमारी टायफॉइड साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया से होती है। तेज बुखार से शुरू होने वाली यह बीमारी अल्सर या आंतों के फटने की वजह भी बन सकती है, इसलिए सही समय पर टायफॉइड का इलाज होना जरूरी है। यह बीमारी संक्रामक भी है, जो रोगग्रसित व्यक्ति के जूठे भोजन या पानी पीने से भी हो सकती है। कई मरीजों में यह बीमारी ड्रग रेसिस्टेंड (रोगी पर दवाइयों का असर नहीं होता) भी होने लगी है, जिसकी वजह से डॉक्टर ओरल दवाइयों की जगह इंजेक्शन देते हैं। 10-15 मरीजों में से एक में इस तरह की समस्या सामने आ रही हैं।
लक्षण
100 डिग्री सेल्सियस से ऊपर लगातार बुखार बने रहना, पेट दर्द, भूख ना लगना, सिर दर्द व गले में खराश, सुस्ती या कमजोरी लगना और शरीर पर चकत्ते दिखाई देना।

ऐसे होगा बचाव
टायफॉइड होने पर दूषित खानपान से बचें। जहां तक हो पानी उबालकर पीएं। सब्जियों को अच्छे से पकाएं और फल भी धोकर खाएं। टायफॉइड से बचाव के लिए टीके किसी भी उम्र में लगवा सकते हैं, इनसे लगभग दो साल तक बचाव होता है।
बीमारी की जांच
लक्षण दिखते ही मरीज को एक हफ्ते के अंदर डॉक्टर से जांच करा लेनी चाहिए। इलाज में देरी होने पर मरीज बेहोशी की हालत में जा सकता है और उसे आंतों संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। मुख्य रूप से ब्लड टेस्ट, स्टूल टेस्ट, यूरिन टेस्ट और विडाल टेस्ट होते हैं। इसके बाद दवाइयों के साथ परहेज जरूरी है। लक्षणों के मुताबिक दवाइयां दी जाती हैं। इलाज के दौरान कब्ज और गैस संबंधी परेशानी में मरीज को हल्का भोजन लेना चाहिए। एक बार टायफॉइड होने पर इसके दोबारा होने की आशंका बनी रहती है। ऐसे में मरीज को ज्यादा सतर्क रहना पड़ता है। उसे प्यूरीफाई वाटर या उबला पानी पीना चाहिए। बाहर का खाना खाने से बचें। इसके अलावा कमजोरी महसूस होने, भूख ना लगने या बुखार होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
होम्योपैथी इलाज
टायफॉइड इलाज में आर्सेनिक अलबम (बेचैनी या कमजोरी महसूस होने पर), ड्रायोनिया (मुंह का स्वाद खराब होना, भूख ना लगना), बैप्टीशिया (लगातार बुखार रहने पर) जैसी दवाएं दी जाती हैं। टायफॉइड में आंतों में घाव हो जाते हैं, इसलिए मिर्च-मसालों से परहेज करें।
आयुर्वेदिक इलाज
टायफॉइड में चिकना और ज्यादा मसालेदार भोजन ना खाएं। बेसन और मैदे से बनी चीजों से दूर रहें। दाल, खिचड़ी, हरी सब्जियां और पपीता खाएं। पानी में लौंग डालकर इसे उबालकर एक चौथाई कर लें। इसे दिन में दो बार पीएं। दवाइयों में संजीवनी वटी, सुदर्शन घन वटी, स्वर्ण वसंत माल्ती रस, गिलोय सत्व, प्रवाल पिष्टी आदि दी जाती है।

Hindi News / Health / Disease and Conditions / अच्छी नहीं हाेती टायफॉइड में लापरवाही, डाॅॅॅक्टरी जांच है जरूरी

ट्रेंडिंग वीडियो