जिनके कंधों पर घर की बरकत का जिम्मा हो, वह ही घर के खजाने को लूटने लगें तो उस घर का बंटाधार सुनिश्चित है। राजस्थान रोडवेज के हालात भी कुछ इस ही तरह के ही हैं। जहां परिचालक रोडवेज की आय पर जमकर छुरी चला रहे हैं। निरीक्षण के दौरान पिछले दो माह में बिना टिकट यात्रियों को यात्रा कराते 25 प्रकरण सामने आए थे। जिनपर बाकायदा दण्डात्मक कार्रवाई की गई। लेकिन फिर भी परिचालकों का रवैया बदलता नजर नहीं आ रहा है।
दो माह में 115 यात्रियों को बेटिकट यात्रा अक्टूबर और सितम्बर माह के दौरान धौलपुर परिवहन विभाग ने शिकायतों के बाद बसों का निरीक्षण किया गया था। इस दौरान अक्टूबर माह में 12 और सितम्बर माह में 13 प्रकरण सामने आए। जिनमें परिचालक यात्रियों से रुपए लेकर बिना टिकट यात्रा करा रहे थे। इस 25 प्रकरणों के दौरान 115 यात्रियों को बिना टिकट यात्रा कराई जा रही थी। यानी इन 115 यात्रियों के टिकट के 9528 रुपए परिचालकों ने अपनी जेबों में रखा।
4 परिचालकों पर की गई कार्रवाई धौलपुर परिवहन विभाग के निरीक्षण के दौरान सामने आए 25 प्रकरणों में 4 परिचालकों पर कार्रवाई करते हुए इन्हें निलंबित कर दिया। लेकिन कुछ दिनों बाद इन परिचालकों की अन्य डिपों में पदस्थापना हो गई। इन चार परिचालकों में मुनेश को उदयपुर डिपो, लीलाधर को भीलवाड़ा डिपो, भूपसिंह को झालावाड़ डिपो और अनिल केन को सिरोही डिपो में फिर से पदस्थापना मिल गई।
अन्य डिपो ने भी की कार्रवाइयां कार्रवाई के यह आंकड़े केवल धौलपुर परिवहन विभाग के किए हुए हैं। इसके अलावा दूसरी डिपो और आला अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान भी कई प्रकरण सामने आ चुके हैं। जिनका रिकॉर्ड धौलपुर कार्यालय में जमा नहीं होते। गत 10 नवम्बर को धौलपुर आगर के बस सारथी के वहां भरतपुर निरीक्षण दल ने किया। जिसमें 38 यात्री बिना टिकट यात्रा करते हुए पाए गए थे। जिसके बाद त्यागी पर कार्रवाई करते हुए उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया गया। अब अगर इन सभी प्रकरणों को जोड़ा जाए तो बगैर टिकट यात्रा कराने के प्रकरणों की संख्या और बढ़ जाएगी।
सोशल मीडिया से चल रहा सारा खेल आखिर कैसे परिचालक विभाग की आंधों में धूल झौंक यात्रियों को बिना टिकट यात्रा करा रहे हैं? जब इस मामले की तह तक पहुंचा गया तो बड़ा रहस्य उजागर हुआ। दरअसल यह सब खेल सोशल मीडिया के जरिए खेला जा रहा है। जानकारी के अनुसार सौरों के एक निजी व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर गु्रप बना रखा है। जिसका एडमिन वह खुद है। गु्रप में उसने विभिन्न रूट के रोडवेज परिचालकों को जोड़ रखा है और इसके एवज में यह व्यक्ति इन परिचालकों से बाकायदा प्रतिमाह 500 रुपए शुल्क लेता है। जब किसी रूट पर बसों की चेकिंग होती है तो उस रूट वाला व्यक्ति गु्रप में चेकिंग की जानकारी शेयर कर देता है। इसके साथ ही जिसको जैसे भी फ्लाइंग की जानकारी मिलती है सब एक दूसरे को सूचित कर देते हैं।
रूटों पर अपनों को बैठा देते हैं परिचालक इन परिचालकों का निरीक्षण से बचने का दूसरा तरीका भी सामने आया है। इस तरीके में यह परिचालक जिस रूट पर चलते हैं। उस रूट पर जगह-जगह अपने लोगों को बैठा रखा है। जिनमें कोई इनका दोस्त होता है तो कोई रिश्तेदार। इसके एवज में यह परिचालक इन लोगों को पेशगी के साथ ही निरीक्षण वाहन की जानकारी और उसके नम्बर दे देते हैं। जिसके बाद जब कोई निरीक्षण वाहन उस रूट से चेकिंग के लिए निकलता है तो यह लोग परिचालकों को फोन कर सूचित कर देते हैं।
विगत दो माह कार्रवाई की स्थितिअक्टूबर सितम्बर प्रकरण 12 13 कितने यात्री मिले 58 57 यात्रियों का किराया 5923 3605 —————— प्रदेश में रोडवेज का हाल प्रतिमाह घाटा 90 करोड़
प्रतिमाह आय 150 करोड़ प्रतिमाह खर्च 240 करोड़ प्रतिदिन घाटा 3 करोड़ प्रति किमी खर्च 23 रुपए बढ़ा (दस वर्ष में)