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धौलपुर

शौक ऐसा कि जमा किए दुनियाभर के 12 हजार डाक टिकट

बाड़ी निवासी अजय गर्ग ने। जिन्होंने 200 देशों के डाक टिकट, 190 देशों के सिक्के और नोट, 170 देशों में जारी महात्मा गांधी की डाक टिकटें, आजादी से लेकर अभी तक देश में जारी टिकटें और एंटिक पीसों का संग्रह कर देश में अपना मुकाम स्थापित किया है।

धौलपुरJan 06, 2025 / 06:23 pm

Naresh

शौक ऐसा कि जमा किए दुनियाभर के 12 हजार डाक टिकट His hobby is such that he collected 12 thousand postage stamps from all over the world
-धौलुपर के अजय गर्ग 27 सालों से कर रहे डाक टिकट और एंटिक चीजों का संग्रह

-200 देशों के डाक टिकट सहित 190 देशों के सिक्कों का किया संग्रह

-भारत में जारी पहले डाक टिकट से लेकर 2024 तक के टिकट उनके पास
-इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड सहित लिम्का बुक रिकॉर्ड में दर्ज उनका नाम

भगवती तिवारी

धौलपुर. इंसान की शक्ति उसकी आत्मा में होती है और आत्मा कभी विकलांग नहीं होती…इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है धौलपुर जिले के बाड़ी निवासी अजय गर्ग ने। जिन्होंने 200 देशों के डाक टिकट, 190 देशों के सिक्के और नोट, 170 देशों में जारी महात्मा गांधी की डाक टिकटें, आजादी से लेकर अभी तक देश में जारी टिकटें और एंटिक पीसों का संग्रह कर देश में अपना मुकाम स्थापित किया है।
संग्रह करने के साथ ही वह कई स्कूलों में फिलाटैली वर्कशाप भी करा चुके हैं। इसके अलावा लखनऊ, मुंबई, आगरा, ग्वालियर,जयपुर, अलीगढ़, समेत अन्य कई शहरों में डाक टिकटों की प्रदर्शनी भी लगा चुके हैं। अजय की इस उपलब्धि पर उन्हें कई अवॉर्ड भी मिल चुके हैं। इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड सहित लिम्का बुक रिकॉर्ड भी उन्हें अपना सलाम पेश कर चुका है।
महात्मा गांधी के 170 देशों के डाक टिकट

अजय विशेष रूप से महात्मा गांधी पर जारी डाक टिकटों का संग्रह करते हैं। महात्मा गांधी पर तकरीबन 170 देशों ने डाक टिकट निकाले हैं। यह सभी उनके संग्रहालय में मौजूद हैं। गांधी ने नमक टैक्स को खत्म करने के लिए यात्रा की थी, उस नमक टैक्स की ओरिजिनल रसीद भी उनके संग्रहालय में है। महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा प्रारंभ की और यात्रा के दौरान गांधी जिस-जिस जगह रुके उस हर जगह के पोस्ट ऑफिस की सील लगे हुए पोस्टकार्ड भी संग्रहालय में मौजूद हैं। इसके अलावा 2019 में गांधी जयंती के अवसर पर उनकी 12 पीढिय़ों का वंष वृक्ष बनाकर खूब सुर्खियां बटोरीं।
संग्रहालय की शोभा बढ़ा रहे यह नगीने

अजय के संग्रहालय में 200 देशों की डाक टिकटें, 190 देशों के सिक्के, ओमान देश का एक विशेष 100 न्यूड स्टाम्प पैक, 45 देशों के पॉलिमर (प्लास्टिक) नोट सहित 1947 से 2024 तक की भारत के सभी स्मारक एवं रेगुलर डाक टिकटें, 1964 से 2024 तक के सभी स्मारक सिक्के, स्वतंत्र भारत के सभी सिक्के, भारत का पहला डाक टिकट, स्वतंत्र भारत का पहला स्मारक डाक टिकट, 1879 में जारी हुआ भारत का पोस्ट कार्ड, पहली मिनिएचर डाक टिकट, पहला सुगंध टिकट, पहला गोलाकार टिकट, पहला अष्टकोणीय टिकट, पहला खादी कपड़ा टिकट, ब्रिटिश कालोनी समय की 100 माचिस की डिब्बियां, ब्रिटिश समय के 100 डाक टिकटें, पहला रंगीन पंचतंत्र सोविनियर सिक्का, 25 सोने की भारतीय टिकटें, पुरातन सिक्के, एंटीक आइटम, किताबें, पुराने दस्तावेज, पुराने बर्तन उनके संग्रहालय की शोभा बढ़ा रहे हैं। अजय बताते हैं कि डाक टिकटों और एंटिक चीजों के संग्रह करने मे उनके अभी तक 40 से 45 लाख रुपए खर्च हो चुके है।
27 सालों से कर रहे संग्रह का कार्य

अजय बताते हैं कि डाक टिकट संग्रह का कार्य वह पिछले 27 सालों से कर रहे हैं। उनको यह शौक और जुनून जयपुर में एक डाक टिकट प्रदर्शनी देखने के बाद लगा। पढ़ाई के दौरान से ही वह न्यूज पेपर में आने वाली टिकटों को काटकर संग्रह करने लगे। और आज देखते ही देखते उनका संग्रह खजाना अनमोल धरोहरों से सुसज्जित है। अपने इस अनोखे जुनून के कारण उन्हें देश के नामी संग्रहकर्ता के रूप में जाना जाता है। इस उपलब्धि के लिए प्रदेश स्तर पर जयपुर फिलेटलिक सोसायटी व मुद्रा परिषद राजस्थान सम्मानित कर चुकी है।

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