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धौलपुर

यात्री अब दो माह पहले ही करा सकेंगे रिर्जेवेशन,रेलवे बोर्ड ने अग्रिम आरक्षण की अवधि 120 घटाकर 60 दिन की

रेलवे बोर्ड ने ट्रेनों में आरक्षित टिकट कराने के नियमों में बदलाव किया है। अब यात्री 60 दिन पहले ही रिर्जेवेशन टिकट करवा सकेंगे। जबकि पहले यात्रा टिकट 120 दिन यानी चार माह पहले करा सकते थे।

धौलपुरOct 18, 2024 / 06:30 pm

Naresh

यात्री अब दो माह पहले ही करा सकेंगे रिर्जेवेशन,रेलवे बोर्ड ने अग्रिम आरक्षण की अवधि 120 घटाकर 60 दिन की Passengers will now be able to make reservations two months in advance, Railway Board reduced the advance reservation period from 120 to 60 days
धौलपुर. रेलवे बोर्ड ने ट्रेनों में आरक्षित टिकट कराने के नियमों में बदलाव किया है। अब यात्री 60 दिन पहले ही रिर्जेवेशन टिकट करवा सकेंगे। जबकि पहले यात्रा टिकट 120 दिन यानी चार माह पहले करा सकते थे। यह बदलाव एक नवम्बर से लागू होगा। लेकिन उससे पहले जो टिकट हो चुकी हैं, वे मान्य रहेंगी।
ज्ञात हो कि रेलवे की अग्रिम आरक्षण अवधि में समय-समय पर बदलाव होते रहे हैं। अग्रिम आरक्षण अवधि 30 दिन से लेकर 120 दिन तक की रही है। विभिन्न अवधियों के अनुभव के आधार पर यात्रियों की दृष्टि से 60 दिन की अग्रिम आरक्षण अवधि सबसे उपयुक्त अवधि मानी गई है। इससे पहले साल 2015 में टिकट अवधि 60 दिन की थी।
यूं बदलती गई आरक्षण अवधि

हालांकि, आरक्षित टिकट की अवधि में पहली दफा बदलाव नहीं हुआ है। इससे पहले कई दफा अवधि बदली जा चुकी है। विभिन्न समय अन्तराल पर अग्रिम आरक्षण की अवधि अप्रेल 1981 से जनवरी 1985 तक 120 दिन रही। इसी तरह 1 फरवरी 1985 से 31 अगस्त 1988 तक 90 दिन रही। वहीं, 1 सितम्बर 1988 से 30 सितम्बर 1993 तक 60 दिन, 1 अक्टूबर 1993 से 30 जनवरी 1995 तक 45 दिन, 1 सितम्बर 1995 से 31 जनवरी 1998 तक 30 दिन, 1 फरवरी 1998 से 28 फरवरी 2007 तक 60 दिन, 1 मार्च 2007 से 14 जून 2007 तक 90 दिन, 15 जून 2007 से 31 जनवरी 2008 तक 60 दिन, 1 फरवरी 2008 से 9 मार्च 2012 तक 90 दिन, 10 मार्च 2012 से 30 अप्रेल 2013 तक 120 दिन, 1 मई 2013 से 31 मार्च 2015 तक 60 दिन और 1 अप्रेल 2015 से 31 अक्टूबर 2024 तक 120 दिन रही है।
अवधि अधिक होने से टिकट हो रही थी निरस्त

रेलवे का कहना है कि आरक्षित टिकट की 120 दिन की अवधि बहुत लम्बी थी। यात्री टिकट करा लेते थे लेकिन अंतिम समय में योजना बदलने से टिकट निरस्त कराने से सीटों की बर्बादी हो रही थी। अन्य लोगों को सीट नहीं मिल पा रही थी। करीब 21 फीसदी टिकट निरस्त हो रही थी। कई मामलों में देखा गया कि यात्री अपने टिकट निरस्त नहीं करते हैं और यात्रा पर नहीं आते हैं। इससे यात्री के स्थान पर दूसरे यात्री के यात्रा करने एवं भ्रष्ट आचरण की सम्भावन बनी रहती है। अब इसे रोका जा सकता है। लंबी अवधि के साथ कुछ लोगों द्वारा टिकट ब्लोकिंग की संभावना अधिक हो जाती है।

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