जहरीली होती हवा और उखड़ती सांसें लगभग 5 वर्ष पूर्व नगर पालिका क्षेत्र के डोंगरपुर गांव में राहकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय का निर्माण करवाया गया जो शहर से 5 किलोमीटर की दूरी पर है। स्थानीय ग्रामीण लोकेंद्र परिहार, जयपाल सिंह, पंकज, छोटलाल वर्मा, भगवान सिंह, आकाश, प्रवीण, अंकित, सूरज ठाकुर, शनि, राहुल, रामसहाय आदि के अनुसार भवन निर्माण से पूर्व यह तक नहीं देखा गया कि भवन के चारो ओर 60 से अधिक वैध अवैध ईंट भ_े दिन रात काले धुएं के गुबार छोड़ते रहते हैं। साथ ही इनके लिए ईंट थपाई को हजारों टन मिट्टी खेतों से खनन कर परिवहन कर लाई जाती है। जिसके वाहनों से उढ़ती धूल से वातावरण में हमेशा धुंध छाई रहती है। जो विद्यार्थियों की सांसों में भरकर उन्हें बीमारियों की ओर धकेल रही है। पर न तो नियम विरुद्ध संचालित हो रहे भट्टों पर कोई कार्रवाई हुई और न ही मिट्टी के अवैध परिवहन पर ही लगाम लगाई गई।
दिन भर उठते हैं बदबू के झौंके महाविद्यालय के पास ही स्थित नगरपालिका का विशाल डंपिंग यार्ड भी हालातों को बदतर बना रहा है । जहां शहर के प्रतिदिन कचरे से निर्मित हो रहे कचरे के पहाड़ और मृत जानवरों को भी यहीं निस्तारित करने से उठते बदबू के झोंके वातावरण को नारकीय बना रहे है।
घातक बीमारियों का खतरा विद्यार्थियों के अनुसार धूल और धुआं जहां युवा पीड़ी को सांस की घातक बीमारियों की ओर ले जा रहा है वहीं भयंकर बदबू दिन भर उन्हें बेचैन बनाए रखती है। छात्रों के आनुसार उन्होंने नगर पालिका और प्रशासन के अधिकारियों को कई बार शिकायत की पर न तो कचरे का उचित व वैज्ञानिक तरीके से कोई निस्तारण हो पाया है।
प्रशासन को विधार्थियों की समस्या का कोई ध्यान नहीं है। बस स्वच्छता की रैली और जागरुकता अभियान चलाने के लिए प्रशासन को विधार्थियों की याद आती है। सरकार बदली शासन बदला पर प्रशासन में कोई सुधार नही हो पाया।
गजेंद्र सिंह, छात्र नेता
कचरे से लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। डोंगरपुर क्षेत्र का डंपिंगयार्ड बीमारियों का अड्डा बन गया है। जिससे ग्रामीणों, विधार्थियों, खिलाडिय़ों के स्वास्थ्य भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
लोकेंद्र परिहार, ग्रामीण स्वच्छता के सारे नारे विफल हो गए हैं। मक्खियों और कीटाणुओं से अनेकों प्रकार की बीमारियां फैल रही हैं। खेल मैदान का रास्ता भी बंद कर दिया जिससे युवा मैदान में खेलने को भी तैयार नहीं है। हम अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
छोटेलाल वर्मा, ग्रामीण
वातावरण दूषित हो गया है। सरकार के आला अधिकारी इस रास्ते से गुजरते हैं पर किसी का कोई ध्यान नही है। कचरे का पहाड़ अधिकारियों की कार्यक्षमता पर भारी पड़ रहा है। प्रशासन का तंत्र कमजोर हो चुका है
जयपाल सिंह ठाकुर, ग्रामीण