मोरपंख का धार्मिक महत्व (Religious significance of Morpankh )
ऐसे तो मोरपंख को पवित्रता, सौंदर्य और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। लेकिन धार्मिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम शेषनाग के अवतार थे। मान्यता है कि मोर और शर्प एक दूसरे के दुश्मन हैं। लेकिन भगवान ने मोरपंख को अपने सिर पर लगाकर दुनिया को यह संदेश दिया कि वह दुश्मन को भी स्थान देते हैं। इसलिए यह उनके दिव्य स्वरूप का एक हिस्सा है।
श्रीकृष्ण और मोरपंख का संबंध (Relationship between Shri Krishna and peacock feather)
मोर का नृत्य और उसकी सुंदरता श्रीकृष्ण के जीवन के रसपूर्ण और आनंदमयी दृष्टिकोण को दर्शाती है। जब श्रीकृष्ण बांसुरी बजाते थे, तो मोर आनंदित होकर नृत्य करते थे। यह कहा जाता है कि एक बार मोरों ने प्रसन्न होकर अपने पंख श्रीकृष्ण को अर्पित किए, और भगवान ने उसे अपने मुकुट पर स्थान दिया।
मोरपंख के आध्यात्मिक गुण (Spiritual properties of peacock feathers)
मान्यता है कि मोरपंख बुरी शक्तियों और नकारात्मक को उर्जा को रोकता है। यह शांति, सद्भाव और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक भी माना जाता है। श्रीकृष्ण के सिर पर मोरपंख उनके चरित्र के विनम्र, दयालु और मनमोहक छवि को दर्शाता है। साथ ही धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी विशेष महत्वपूर्ण है। यह प्रकृति, प्रेम और सौंदर्य के प्रति उनकी गहरी निष्ठा को दर्शाता है।