दत्तात्रेय जयंती (Dattatreya Jayanti)
हिंदू पंचांग के अनुसासर मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाई जाती है। कहा जाता है कि भगवान दत्तात्रेय को त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों का अंश माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था, दत्तात्रेय में ईश्वर और गुरु दोनों रूप समाहित हैं। जिसकी वजह से इन्हें श्रीगुरुदेवदत्त भी कहा जाता है। श्रीमदभागवत ग्रंथों के अनुसार, दत्तात्रेय जी ने 24 गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की थी। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन पूजा-पाठ करने से और उपवास का पालन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
कब है दत्तात्रेय जयंती (Dattatreya Jayanti 2024 Date)
हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत शनिवार, 14 दिसंबर को शाम 4 बजकर 58 मिनट पर होगी। जिसका समापन रविवार, 15 दिसंबर को दोपहर 2 बजकर 31 मिनट पर होगा। इसलिए दत्तात्रेय जयंती 14 दिसंबर को मनाई जाएगी। यह भी पढ़ेः घर के मंदिर में कौन से देवी-देवताओं की तस्वीरें नहीं लगानी चाहिए दत्तात्रेय जयंती का महत्व (Dattatreya Jayanti 2024 Importance)
शास्त्रों के अनुसार, भगवान दत्तात्रेय तीन मुख धारण करते हैं। इनके पिता महर्षि अत्रि थे और इनकी माता का नाम अनुसूया था। उनकी तीन भुजाएं और तीन मुख हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान दत्तात्रेय की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है। भगवान दत्तात्रेय ने प्रकृति, मनुष्य और पशु-पक्षी सहित चौबीस गुरुओं का निर्माण किया था। मान्यता है कि इनके जन्मदिवस पर इनकी पूजा करने से और उपवास रखने से शीघ्र फल मिलते हैं और भक्तों को कष्टों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। साथ ही उन्हें धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि दत्तात्रेय ही योग, प्राणायाम के जन्मदाता थे। इनकी सोच ने ही वायुयान की उत्पत्ति की थी।
यह भी पढ़ेः सिर्फ पुष्कर में ही नहीं, भारत की इन 5 खूबसूरत जगहों पर भी स्थित हैं ब्रह्मा के प्राचीन मंदिर मान्यता है कि इन्होंने ही नरसिम्हा का रूप लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था। गुरु दत्तात्रेय त्रिदेव के रूप की पूजा मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन बड़ी धूमधाम से की जाती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा पर धूप और दीप दिखाकर नेवैद्य चढ़ाएं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन दत्तात्रेय देव गंगा स्नान के लिए आते हैं इसलिए गंगा मैया के तट पर दत्त पादुका की भी पूजा की जाती है। इस दिन दत्तात्रेय की पूजा गुरु के रूप में करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
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