माता सीता की पवित्रता पर सवाल (Question on the sanctity of Mother Sita)
धार्मिक कथाओं के अनुसार जब भगवान राम माता सीता को लंका से रावण का वध करके अयोध्या वापस लेकर आए तो लोगों को उनकी पवित्रता पर सवाल उठाए। बेशक भगवान राम को माता सीता की पवित्रता पर पूर्ण विश्वास था। लेकिन वे अपनी प्रजा के एक आदर्श राजा थे तो उन्होंने अपना उत्तरदायित्व निभाते हुए जनता का संदेह दूर किया। मान्यता है कि भगवान श्रीराम के इस कठिन निर्णय की वजह से सीता को ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में रहना पड़ा था।
धर्म के प्रति निष्ठा और श्रद्धा (Devotion and faith in religion)
ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में रहते हुए माता सीता ने दो पुत्रों को जन्म दिया। जिनको दुनिया में लव और कुश के नाम से जाना गया। दोनों पुत्रों को माता सीता ने रामायण की कथा और धर्म के आदर्शों की शिक्षा दी। मान्यता है कि भगवान राम और माता सीता ने अलग रहकर भी धर्म और कर्तव्य के प्रति अपनी निष्ठा और श्रद्धा बनाए रखी।
धर्म और कर्तव्य के आदर्श (Ideals of religion and duty)
भगवान राम और माता सीता का जीवन धर्म, कर्तव्य और आदर्शों का प्रतीक माना गया है। उनकी कथा में कई ऐसे क्षण आते हैं जो गहन विचार करने पर मजबूर करते हैं। राम और सीता का त्रेतायुग की सामाजिक और राजनैतिक परिस्थितियों का परिणाम माना गया है।