भगवान राम के अयोध्या से ओरछा आगमन के बाद पिछले 450 सालों से यह परंपरा निरंतर जारी है। यहां पर अवध और मिथला की परंपरा से दूर रहते हुए पूरा आयोजन बुंदेली रीति-नीति से किया जाता है। इसमें भगवान को मंडप के दिन हल्दी और तेल चढ़ाने की रस्म के साथ ही बारात में उन्हें खजूर का मुकुट पहनाने की परंपरा आज भी बरकरार है।
यह विवाह महोत्सव 5 दिसंबर से शुरू होगा। 5 दिसंबर को भगवान के विवाह की मंडप की रस्म अदा की जाएगी। इस दिन भगवान को हल्दी और तेल चढ़ाया जाएगा। साथ ही शाम को यहां पर पंगत होगी। इसमें 60 हजार लोग प्रसाद ग्रहण करेंगे। 6 दिसंबर को भगवान की राजशाही ठाठ से बारात निकाली जाएगी।