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टीकमगढ़

ओरछा में श्रीराम संग ब्याहेंगी जानकी

Janaki will marry Shri Ram in Orchha

टीकमगढ़Dec 02, 2024 / 11:51 am

anil rawat

श्रीराम-जानकी विवाह का आमंत्रण पत्र।

श्रीराम-जानकी विवाह का आमंत्रण पत्र।

12 ज्योतिर्लिंग, चारों धाम और अयोध्या भेजी गई निमंत्रण पत्रिका

टीकमगढ़. श्रीराम राजा सरकार की नगरी ओरछा विवाह पंचमी के रंग में रंगना शुरू हो गई है। इस बार भी यह आयोजन खास होगा। इस बार प्रशासन द्वारा पहली बार श्रीराम-जानकी विवाह महोत्सव के कार्ड देश के सभी प्रमुख मठ-मंदिरों में पहुंचाने के साथ ही प्रदेश के सभी प्रशासनिक अधिकारियों को आमंत्रित किया जा रहा है। इसके साथ ही यहां पर पंगत में 60 हजार से अधिक लोगों के भोजन की व्यवस्था की जा रही है।
मंदिर के प्रबंधक एवं कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड़ ने बताया कि भगवान के विवाह का पहला कार्ड परंपरा के अनुसार हरदौल लला को अर्पित किया गया था। इसके बाद राम-जानकी विवाह के कार्ड द्वादश ज्योतिर्लिंग, चारों धाम के साथ ही श्रीराम लला को अयोध्या भेजा गया है। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही तिरूपति, वैष्णो देवी, बांके बिहारी मंदिर वृंदावन सहित देश के सभी प्रमुख मंदिरों में विवाह का आमंत्रण भेजा गया है। उन्होंने बताया कि इस बार प्रदेश के सभी विभागों के प्रमुख सचिव, उप सचिव को भी कार्ड भेज जा रहे है। इसके लिए एक अधिकारी नियुक्त कर कार्ड हैंड टू हैंड पहुंचाने के निर्देश दिए है। तहसीलदार सुमित गुर्जर ने बताया कि भगवान के विवाह के आमंत्रण प्रदेश के सभी कलेक्टर एवं एसपी को भेजे जा रहे है। देश के सभी प्रमुख मंदिर एवं अधिकारियों को कार्ड वितरित कराने के लिए इस बार 1200 कार्ड प्रिंट कराए गए है। साथ ही भगवान श्रीराम की स्तुति करते हुए आकर्षक ई-कार्ड भी तैयार कराया गया है। इसमें तीन दिवसीय विवाह महोत्सव का पूरा ब्यौरा अंकित किया गया है।
ठेठ बुंदेली में होता है आयोजन
भगवान राम के अयोध्या से ओरछा आगमन के बाद पिछले 450 सालों से यह परंपरा निरंतर जारी है। यहां पर अवध और मिथला की परंपरा से दूर रहते हुए पूरा आयोजन बुंदेली रीति-नीति से किया जाता है। इसमें भगवान को मंडप के दिन हल्दी और तेल चढ़ाने की रस्म के साथ ही बारात में उन्हें खजूर का मुकुट पहनाने की परंपरा आज भी बरकरार है।
शुद्ध घी में होगा पंगत का भोज
यह विवाह महोत्सव 5 दिसंबर से शुरू होगा। 5 दिसंबर को भगवान के विवाह की मंडप की रस्म अदा की जाएगी। इस दिन भगवान को हल्दी और तेल चढ़ाया जाएगा। साथ ही शाम को यहां पर पंगत होगी। इसमें 60 हजार लोग प्रसाद ग्रहण करेंगे। 6 दिसंबर को भगवान की राजशाही ठाठ से बारात निकाली जाएगी।

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