इस लिए नहीं दिया सुदर्शन चक्र (This is why Sudarshan Chakra was not given)
धार्मिक कथाओं के अनुसार एक बार की बात है कि गुरू द्रोणाचार्य और अश्वत्थामा भगवान श्रीकृष्ण के घर द्वारिका गए हुए थे। श्री कृष्ण ने दोनों का बहुत आदर सत्कार किया। जब दोनों कुछ दिन द्वारिका में रहे तो एक दिन अश्वत्थामा ने भगवान श्रीकष्ण से कहा कि वह अपना सुदर्शन चक्र दे दें और बदले में उसका अजेय ब्रह्मास्त्र ले लें। इसके बाद कृष्ण ने कहा कि ठीक है तुम मेरे किसी भी अस्त्र में से जो चाहो वो उठा लो। लेकिन मुझे कुछ भी नहीं चाहिए। अश्वत्थामा ने भगवान के सुदर्शन चक्र को उठाने का प्रयास किया। लेकिन वो टस से मस नहीं हुआ।
अपनी क्षमता के अनुसार काम करना चाहिए (You should work according to your ability)
मान्यता है कि अश्वत्थामा ने सुदर्शन चक्र को उठाने का भरपूर प्रयास किया। लेकिन सफलता नहीं मिली। जब अश्वत्थामा ने हार मान ली तब भगवान ने उसको बताया कि अतिथि की अपनी सीमा होती है। उसे कभी वो चीजें नहीं मांगनी चाहिए जो उसके सामर्थ्य से बाहर हो। अश्वत्थामा बहुत शर्मिंदा हुआ। वह बिना किसी शस्त्र-अस्त्र को लिए ही द्वारिका से चला गया। मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा की मांग को इस लिए अस्वीकार कर दिया। क्योंकि सुदर्शन चक्र केवल धर्म और सत्य की रक्षा के लिए था। Ramayana: जानिए कौन थे वे दो वानर योद्धा, जिन्होंने श्रीराम की लंका पहुंचने में मदद की