scriptLast Shraddha: क्या गया में श्राद्ध के बाद भी करते हैं तर्पण, जानिए विद्वानों की राय | Shradh Paksh last Shraddha is Gaya or Brahmakapali opinion of priests divided | Patrika News
धर्म-कर्म

Last Shraddha: क्या गया में श्राद्ध के बाद भी करते हैं तर्पण, जानिए विद्वानों की राय

last Shraddha pitru paksha धर्म ग्रंथों के अनुसार श्राद्ध पक्ष में हर हिंदू धर्मावलंबी को अपने पितरों का श्राद्ध करना चाहिए। इससे वे प्रसन्न होते हैं और वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। मान्यता है कि गयाजी में श्राद्ध के बाद पितर देवलोक गमन कर जाते हैं। इससे श्राद्ध और तर्पण पर कई तरह की बातें प्रचलित हो गईं हैं, जैसे कई लोगों का कहना है कि गया में श्राद्ध के बाद तर्पण की जरूरत नहीं होती तो आइये जानते हैं इस पर क्या कहते हैं अधिकांश पुरोहित..

भारतJan 26, 2025 / 07:32 pm

Pravin Pandey

shraddha in gaya

shraddha in gaya: गया में श्राद्ध का महत्व

Last Shraddha: धर्म ग्रंथों के अनुसार हर साल पितृ पक्ष में हिंदुओं को पितृ पक्ष में श्राद्ध जरूर करना चाहिए। लेकिन इस मान्यता के कारण कि गया में श्राद्ध करने के बाद पितर देवलोक प्रस्थान कर जाते हैं। कुछ विद्वान गया श्राद्ध को अंतिम श्राद्ध मानते हुए आगे श्राद्ध न करने का परामर्श देते हैं तो वहीं कुछ विद्वान ब्रह्मकपाली को अंतिम श्राद्ध मानते हैं।

कुछ पुरोहितों के अनुसार गया श्राद्ध के बाद बदरीका क्षेत्र के ‘ब्रह्मकपाली’ में श्राद्ध करना चाहिए। उनका मानना है कि ब्रह्मकपाली अंतिम श्राद्ध है। यह ब्रह्मकपाली वही स्थान है जहां शिवजी के त्रिशूल के प्रहार से ब्रह्माजी का कटा सिर गिरा था। उनका कहना है कि गया श्राद्ध करने के बाद केवल पितरों के निमित्त ‘धूप’ छोड़ना बंद करना चाहिए। गया के बाद ब्रह्मकपाली में श्राद्ध करना चाहिए।

इसी के साथ ब्रह्मकपाली में श्राद्ध करने के बाद तर्पण और ब्राह्मण भोजन की बाध्यता समाप्त हो जाती है। हालांकि शास्त्रों का स्पष्ट निर्देश है कि गया और ब्रह्मकपाली में श्राद्ध करने के बाद भी अपने पितरों के निमित्त तर्पण और ब्राह्मण भोजन अथवा आमान्न (सीधा) दान करना श्रेष्ठ है।
ये भी पढ़ेंः Pitru Paksh 2023: श्राद्ध पक्ष में ये चार काम माता लक्ष्मी को करते हैं प्रसन्न, कभी नहीं होगी धन की कमी

गया के बाद भी हर साल करना चाहिए श्राद्ध

वाराणसी के पुरोहित पं. शिवम तिवारी के अनुसार श्राद्ध, श्रद्धा से पितरों के लिए किया गया कर्म है। गया में श्राद्ध के बाद पितरों को देवलोक में एक स्थान प्राप्त हो जाता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनके लिए किया जाने वाला कर्म बंद कर देना चाहिए। जैसे हम हर देवता के लिए पूजा पाठ करते रहते हैं, वैसे ही पितरों के लिए श्राद्ध पक्ष में पिंडदान, तर्पण, ब्राह्मण भोजन जरूर कराना चाहिए और अच्छे कर्म करने की कोई सीमा नहीं होती।

इसका रखें ख्याल

कई ज्योतिषाचार्यों की मानें तो गया में श्राद्ध के बाद पूर्वजों से दूर होने से नुकसान उठाना पड़ता है। गया में श्राद्ध करने के बाद भी घर में वार्षिक तथा पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध करना चाहिए। इस दौरान न खरीदारी करें और नहीं निषिद्ध व्यवहार करें।

गया और ब्रह्मकपाली श्राद्ध के बाद भी यह करें

पंडितों का कहना है कि गया और ब्रह्मकपाली श्राद्ध के बाद भी पितृ पक्ष के दौरान सेवा कार्य करना चाहिए, जरूरतमन्दों की सहायता दान-धर्म की और रुझान रखना चाहिए। श्राद्ध पक्ष में प्रतिदिन गाय, कुत्ते, कगवास (पक्षी) अतिथि और भिक्षुक को भोजन कराएं।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / Last Shraddha: क्या गया में श्राद्ध के बाद भी करते हैं तर्पण, जानिए विद्वानों की राय

ट्रेंडिंग वीडियो