क्यों कहते हैं मौनी अमावस्या
मौनी अमावस्या का नाम मौन शब्द से लिया है। जिसका अर्थ शांति और मौन रहना है। इसे मौन व्रत रखने और पवित्र स्नान-दान के लिए जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गंगा, यमुना और संगम में स्नान करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।पितृ सूक्त का पाठ पितरों को दिला सकता है मोक्ष, मौनी अमावस्या से जुड़ा है महत्व
मौनी अमावस्या कथा
पौराणिक कथा के अनुसार मौनी अमावस्या भगवान विष्णु से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने मत्य्स अवतार लिया था और धरती पर सतयुग की शुरुआत की थी। दूसरी कथा के अनुसार राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन गंगा नदी को पृथ्वी पर लाने का प्रयत्न किया था। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र गंगा स्नान से पूर्वजों को तृप्ति मिलती है और व्यक्ति के पापों का नाश होता है।पितरों की आत्म शांति के लिए, मौनी अमावस्या पर करें ये उपाय
मौनी अमावस्या महत्व
पवित्र स्नान: गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। दान-पुण्य: इस दिन दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। अनाज, वस्त्र, धन और भोजन का दान महत्वपूर्ण माना गया है।मौनी अमावस्या पर बन रहा ये शुभ संयोग, जानें पूजा का विधि और शुभ समय
इन बातों का करें पालन
सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र स्नान करें।भगवान विष्णु की पूजा और पाठ करें।
मौन व्रत धारण करें और आत्म-विश्लेषण करें।
जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करें। मौनी अमावस्या का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि आत्मिक और मानसिक शांति प्रदान करना भी है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना और पवित्र नदियों में स्नान से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति और सुख-समृद्धि मिलती है। इसलिए इस पावन दिन पर मौन रहकर भगवान का ध्यान और सेवा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।