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Mauni Amavasya Katha: मौनी अमावस्या पर जरुर पढ़ें ये कथा, भगवान विष्णु से जुड़ा है इसका सार

Mauni Amavasya Katha: मौनी अमवस्या के दिन भगवान विष्णु की विधि पूर्वक पूजा और कथा पढ़ने से पुण्यफल की प्राप्ति होती है। साथ ही पितरों की आत्मा का शांति मिलती है।

नई दिल्लीJan 27, 2025 / 10:11 am

Sachin Kumar

Mauni Amavasya Katha

मौनी अमावस्या कथा

Mauni Amavasya Katha: मौनी अमावस्या का त्योहार मुख्य रुप से पितरों के पिंडदान और उनकी आत्म शांति के लिए मनाया जाता है। इस दिन पर गंगा यमुना जैसी पवित्र नदियों में करना बेहद शुभ फल प्रदान करता है। इस बार यह पर्व माघ मास की अमवास्या तिथि यानि 29 जनवरी 2025 बुधवार को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं पूरी कथा।

क्यों कहते हैं मौनी अमावस्या

मौनी अमावस्या का नाम मौन शब्द से लिया है। जिसका अर्थ शांति और मौन रहना है। इसे मौन व्रत रखने और पवित्र स्नान-दान के लिए जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गंगा, यमुना और संगम में स्नान करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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मौनी अमावस्या कथा

पौराणिक कथा के अनुसार मौनी अमावस्या भगवान विष्णु से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने मत्य्स अवतार लिया था और धरती पर सतयुग की शुरुआत की थी। दूसरी कथा के अनुसार राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन गंगा नदी को पृथ्वी पर लाने का प्रयत्न किया था। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र गंगा स्नान से पूर्वजों को तृप्ति मिलती है और व्यक्ति के पापों का नाश होता है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान अमृत की खोज हुई थी। अमृत को सुरक्षित रखने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया और इसे देवताओं को प्रदान किया। इस दिन का मौन रहकर मनन करने और भगवान विष्णु की आराधना करने का विशेष महत्व है।
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मौनी अमावस्या महत्व

पवित्र स्नान: गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है।

दान-पुण्य: इस दिन दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। अनाज, वस्त्र, धन और भोजन का दान महत्वपूर्ण माना गया है।
मौन व्रत: मौन व्रत रखने से मानसिक शांति और आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है।

ज्योतिषीय प्रभाव: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मौनी अमावस्या पर ग्रहों की स्थिति अद्भुत होती है, जो साधना और तप के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
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इन बातों का करें पालन

सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र स्नान करें।
भगवान विष्णु की पूजा और पाठ करें।
मौन व्रत धारण करें और आत्म-विश्लेषण करें।
जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करें।

मौनी अमावस्या का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि आत्मिक और मानसिक शांति प्रदान करना भी है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना और पवित्र नदियों में स्नान से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति और सुख-समृद्धि मिलती है। इसलिए इस पावन दिन पर मौन रहकर भगवान का ध्यान और सेवा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
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डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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