माना जाता है कि नागा साधुओं को संसार की सभी सुख-सुविधाओं को त्याग कर अपना जीवन जीते हैं। उनका पूरा जीवन भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इसलिए नागा साधु महादेव को भी बहुत प्रिय हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि जब भगवान शंकर माता पार्वती का विवाह करके लौट रहे थे तो नागा साधु रास्ते में खड़े होकर क्यों रोने लगे थे? क्या थी इसकी वजह? आइए जानते हैं नागाओं के रोने की रोचक कहानी।
भगवान शिव के आगे रोने लगे थे नागा साधु
धार्मिक कथाओं के अनुसार जब भगवान शंकर माता पार्वती से विवाह रचाने के लिए गए थे, तो उनकी बारात में समस्त ब्रह्माण्ड के चर-अचर जीव, दैत्य, दानव, देवता, राक्षस, गंधर्व, किन्नर, नर आदि सभी गए थे। लेकिन नागा साधु भगवान शिव की तपस्या में इतने लीन थे कि उनको भगवान शिव के विवाह का पता ही नहीं चला था। जब भगवान शंकर माता पार्वती से विवाह रचा कर कैलाश पर्वत लेकर जा रहे थे। तभी नागाओं इस बात की खबर लगी, तो वह रास्ते में खड़े हो कर विवाह में न जाने पर दुख जताने लगे।
महादेव का नागा साधुओं को वचन
जब महादेव ने नागा साधुओं से उनके दुखी होने की वजह पूछी तो उन्होंने भगवान को बताया कि वह शिव बारात में तपस्या के कारण शामिल नहीं हो पाए हैं। नागा साधुओं की इस बात को सुनकर महादेव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर वचन दिया कि बहुत जल्दी सभी नागा साधुओं को शाही बारात में शामिल होने का मौका मिलेगा। और इस बारात में स्वयं भगवान शंकर भी शामिल होंगे।
नागाओं की शोभायात्र शिव बारात का प्रतीक
धार्मिक मान्यता है कि यही वजह है कि महाकुंभ के दौरान सभी नागा साधु भव्य शोभा यात्रा निकालते हैं। जो आज भी भगवान शिव की बारात का प्रतीक माना जाता है। इस बारात में विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत सम्मलित होते हैं। यह शोभा यात्रा भव्य और विशाल होती है। जिसे देखने के लिए देश-विदेश से भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस शिव बारात में शिवगण पूरी भक्ति और उत्साह के साथ पैदल चलते हैं तो कुछ हाथी, घोड़े और रथ पर सवार होते हैं।