script13 नवंबर से मार्गशीर्ष (अगहन) माह शुरू, इन बातों का रखें ध्यान | Margashirsha Month 13 November to 12 December 2019 | Patrika News
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13 नवंबर से मार्गशीर्ष (अगहन) माह शुरू, इन बातों का रखें ध्यान

Margashirsha Month 2019 : 13 नवंबर से मार्गशीर्ष (अगहन) माह शुरू, इन बातों का रखें ध्यान

Nov 12, 2019 / 11:51 am

Shyam

13 नवंबर से मार्गशीर्ष (अगहन) माह शुरू, इन बातों का रखें ध्यान

13 नवंबर से मार्गशीर्ष (अगहन) माह शुरू, इन बातों का रखें ध्यान

12 नवंबर को कार्तिक माह के खत्म होते ही 13 नवंबर से भगवान विष्णु का सबसे प्रिय महीना मार्गशीर्ष (अगहन) मास शुरू हो जाएगा। मार्गशीर्ष का महीना हिन्दू धार्मिक पंचांग का नौवां महीना होता है। इसे अग्रहायण एवं अगहन का महीना भी कहा जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार मार्गशीर्ष का महीना अत्यंत पवित्र माह माना जाता है। इसी महीने से सतयुग का आरंभ माना जाता है। श्रीमदभगवत गीता में योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं- सभी बारह महीनों में मार्गशीर्ष मैं स्वयं हूं। शास्त्र कहते हैं कि मार्गशीर्ष के माह में इन नियमों का पालन हर किसी को करना चाहिए।

 

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साल 2019 में मार्गशीर्ष (अगहन) का महीना 13 नवंबर से शुरू होकर 12 दिसंबर 2019 तक रहेगा। अनेक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि कश्यप ऋषि ने ही मार्गशीर्ष के महीने में ही कश्मीर की रचना की थी। यह महीना भगवान श्री विष्णु जी का प्रिय पवित्र महीना मनाना जाता है, अगहन मास में जप, तप और ध्यान करना शीघ्र फलदायी माना जाता है। मार्गशीर्ष माह में पवित्र तीर्थ स्थानों का सेवन, पवित्र नदियों में स्नान करने मनोवांछित कामनाएं पूरी होने लगती है। मार्गशीर्ष (अगहन) महीने में मांगलिक कार्य का शुभफल मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण की उपासना और पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति एवं इच्छाएं पूरी होती है। संतान सुख की कामना पूरी होती है। चन्द्रमा की पूजा करने से अमृत तत्व की प्राप्ति भी होती है।

 

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मार्गशीर्ष (अगहन) के महीने में तेल की मालिश बहुत उत्तम होती है। स्निग्ध चीज़ों का सेवन आरम्भ कर देना चाहिए। अगहन मास में जीरे का सेवन नहीं करना चाहिए। मोटे वस्त्रों का उपयोग आरम्भ कर देना चाहिए। नित्य श्रीकृष्ण की पूजा के बाद या पहले श्रीमदभगवत गीता का पाठ करना चाहिए। तुलसी के पत्तों का भोग लगाएं और उसे प्रसाद की तरह स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए। पूरे मार्गशीर्ष महीने में इस मंत्र- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का 108 बार रोज जप करना चाहिए।

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