मणिकर्णिका घाट महत्व
मणिकर्णिका घाट को हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। कहा जाता है कि यहां भगवान शिव और माता पार्वती ने ध्यान किया था और यहां भगवान विष्णु के पदचिन्ह भी स्थित हैं। इस घाट को मोक्षदायिनी घाट भी कहा जाता है। क्योंकि यहां पर अंतिम संस्कार करने और स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस घाट को मणिकर्णिका इसलिए कहते हैं क्योंकि यहां माता पार्वती की का कुंडल गिरा था। मणिकर्णिका स्नान की विधि
- स्नान से पहले गंगा माता का ध्यान कर संकल्प लें कि आप अपने पापों से मुक्त होकर पवित्र जीवन जीने का प्रयास करेंगे।
- गमणिकर्णिका घाट पर गंगा में डुबकी लगाते समय भगवान शिव और माता गंगा का ध्यान करें।
3 स्नान के बाद मणिकर्णिका घाट पर स्थित शिवलिंग की पूजा करें, जिसमें जल, पुष्प, दूध और बिल्वपत्र अर्पित करें। - स्नान के बाद अनाज, वस्त्र और धन का दान करना शुभ माना जाता है, जिससे पुण्य लाभ प्राप्त होता है।
मणिकर्णिका स्नान के लाभ
धार्मिक कथाओं अनुसार ऐसा माना जाता है कि मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। इस घाट को मोक्षदायनी घाट भी कहा जाता है मान्यता है कि इस घाट पर जो स्नान करता है। उसे आत्म शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। बैकुंठ चतुर्दशी के दिन इस पावन घाट पर स्नान करने से व्यक्ति को आत्मा पवित्र होती हैं और मानसिक शांति भी मिलती है। मणिकर्णिका स्नान एक पवित्र और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। यहां पर स्नान करने से व्यक्ति भगवान शिव और माता गंगा का आशीर्वाद प्राप्त करता है, जिससे उसके जीवन के सभी पाप नष्ट होते हैं। इस स्नान का महत्व इस बात से भी समझा जा सकता है कि इसे मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग माना गया है।
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