ब्रह्माजी का मंदिर और पुष्कर मेला (Pushkar Mela)
भारत में विष्णु जी और शिव जी के कई मंदिर देखने को मिलेंगे,लेकिन ब्रह्माजी की पूजा होते कम ही सुनी और देखी होगी। इसके पीछे एक कहानी है। आइये जानते हैं ब्रह्माजी की पुष्कर से जुड़ी कहानी …
पुष्कर मंदिर की पौराणिक कथा (Mythology of Pushkar Temple)
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वज्रनाश राक्षस का वध करने के बाद ब्रह्मा जी यज्ञ करना चाहते थे। यज्ञ के लिए पति-पत्नी का होना अनिवार्य था। ऐसे में ब्रह्मा जी ने अपनी पत्नी सरस्वती को यज्ञ में शामिल होने का निमंत्रण दिया लेकिन किसी वजह से सरस्वती जी समय पर इस यज्ञ में नहीं पहुंच पाईं। ऐसे में यज्ञ को पूरा करने के लिए ब्रह्मा जी ने गुर्जर सम्प्रदाय की गायत्री नाम की कन्या से विवाह कर यज्ञ को सम्पन्न किया। यह भी पढ़ेः कब है गुरु नानक जयंती, सिख धर्म में क्या है इसका महत्व जब देवी सरस्वती यज्ञ में पहुंची और ब्रह्मा जी के बगल में एक अन्य कन्या को देखा, तो वह बहुत क्रोधित हुईं और ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया कि पूरी दुनिया में कोई भी उनकी पूजा नहीं करेगा। इस काम में ब्रह्मा जी की मदद भगवान विष्णु ने भी की थी, जिसकी वजह से देवी ने उन्हें भी श्राप दिया कि उन्हें पत्नी के अलग होने का दर्द सहना होगा। इसके बाद देवताओं ने देवी सरस्वती को बहुत समझाया तब माता ने कहा कि पूरे संसार में सिर्फ पुष्कर नाम के इस मंदिर में ही ब्रह्माजी की पूजा होगी। इस कारण पूरे भारत में ब्रह्मा जी का एक मात्र मंदिर केवल पुष्कर में ही है।
पुष्कर मंदिर का महत्व (Importance of Pushkar Temple)
मान्यता के अनुसार पुष्कर सभी तीर्थों का गुरु है। ऐसी मान्यता है कि चारधाम तीर्थयात्रा के बाद जब तक कोई व्यक्ति पुष्कर में स्नान नही करता है, तब तक उसको पुण्य का फल नहीं मिलता है। ऐसा भी कहा जाता है कि ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना के लिए पुष्करजी में यज्ञ का आयोजन किया था। इस कारण लाखों लोग यहां दूर-दूर से आते हैं। यह भी पढ़ेः कब है कालाष्टमी, जानें इस व्रत का महत्व और पूजा विधि ऐसा भी कहा जाता है कि कार्तिक माह में पुष्कर में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही आंवला नवमी के दिन पुष्कर में स्नान करने से सभी पापों का नाश हो जाता है।
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