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kalashtami Katha 2024: क्यों मनाई जाती है कालाष्टमी, जानिए पौराणिक कथा

Kalashtami Katha 2024: हिंदू धर्म में कालाष्टमी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन भगवान शिव और काल भैरव की पूजा करने और व्रत रखने का विधान है। उदया तिथि के अनुसार कालाष्टमी का व्रत 24 सितंबर 2024 दिन मंगलवार को रखा जाएगा।

जयपुरNov 14, 2024 / 07:55 pm

Sachin Kumar

Kalashtami Katha 2024

यहां जानिए काल भैरव की पूरी कथा।

Kalashtami Katha 2024: कालाष्टमी हिंदू धर्म में शक्ति और साहस का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के भैरव रूप की उपासना करने से जीवन के सभी कष्ट मिट जाते हैं। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में उन्नती के रास्ते खुल जाते हैं। साथ ही महादेव भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं पूरी कथा..

कालाष्टमी का महत्व (kalashtami Ka Mahatva)

कालाष्टमी हिंदू धर्म में महादेव के रौद्र रूप भगवान काल भैरव की पूजा का पर्व है। यह हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। कालाष्टमी का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को भय, संकट, रोग और शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है। साथ ही, इसे भगवान शंकर के सबसे शक्तिशाली और दंडाधिकारी रूप की उपासना का दिन माना जाता है। विशेष रूप से मार्गशीर्ष (नवंबर-दिसंबर) माह में आने वाली कालाष्टमी को “कालभैरव जयंती” के रूप में भी मनाया जाता है, जो भगवान काल भैरव के प्रकट होने का दिन है।

कालाष्टमी पूजा विधि (kalashtami Puja Vidhi)

कालाष्टमी के दिन प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लिया जाता है। भगवान काल भैरव की पूजा के लिए शिवलिंग, तांत्रिक वस्तुएं, पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा विधि का पालन किया जाता है। पूजा में बेलपत्र, धतूरा, काले तिल, काले कपड़े, नारियल, चावल और नींबू का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है। भक्त रात्रि के समय भगवान काल भैरव के मंदिर में दीपक जलाते हैं और उनकी आरती करते हैं। साथ ही, भैरव अष्टक, काल भैरव स्तोत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा प्राप्त होती है।

कालाष्टमी की पौराणिक कथा (kalashtami Pauradik Katha)

कालाष्टमी की उत्पत्ति की कथा शिव पुराण से जुड़ी हुई है। धार्मिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी ने अपने पांचवें मुख से भगवान शिव का अपमान कर दिया। उनके इस अहंकार को देखकर भगवान शिव को क्रोध आया और उन्होंने अपने रौद्र रूप में काल भैरव का अवतार लिया। काल भैरव ने अपने नाखून से ब्रह्मा जी के पांचवे सिर को काट दिया। इस घटना के बाद ब्रह्मा जी का घमंड समाप्त हो गया और उन्होंने भगवान शिव से क्षमा याचना की।
लेकिन ब्रह्मा हत्या का पाप लगने के कारण काल भैरव को काशी की धरती पर जाना पड़ा। वहां पहुंचते ही उनका यह पाप समाप्त हो गया और उन्हें काशी का कोतवाल घोषित कर दिया गया। आज भी काशी में काल भैरव की नगर रक्षक के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि काशी विश्वनाथ की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है। जब तक भक्त काल भैरव के दर्शन नहीं किए जाते।

कालाष्टमी व्रत के लाभ (kalashtami Vrat Ke Labh)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कालाष्टमी व्रत करने से मनुष्य के जीवन में आने वाले संकट दूर होते हैं। इस दिन भगवान काल भैरव की उपासना करने से भय और बुरी शक्तियों का प्रभाव नष्ट हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से कालाष्टमी का व्रत करता है। उसके जीवन में सुख-शांति आती है और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। कालाष्टमी पर नियम निष्ठा से की गई उपासना विशेष फलदायी सावित होती है। जिससे घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
कालाष्टमी हिंदू धर्म में शक्ति और साहस का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के भैरव रूप की उपासना करने से जीवन के सभी कष्ट मिट जाते हैं। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में उन्नती के रास्ते खुल जाते हैं। साथ ही महादेव भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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