हनुमान जी बंदर नहीं थे! ऐसा अद्भुत रहस्य जिसे जानकर हैरान हो जाएंगे आप
मंगलवार के दिन अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए शाम के समय अपने घर के पूजा स्थल पर लाल रंग के आसन पर बैठें। अब विधिवत आवाहन पूजन के बाद लाल चदंन की माला से “ऊँ हुं हनुमते नमः” इस मंत्र का ग्यारह सौ बार जप करें। मंत्र जप के बाद श्री हनुमान चालीसा का 7 बार पाठ भी करें। उक्त क्रम के बाद नीचे दी गई हनुमान जी की स्तुति का श्रद्धापूर्वक गायन करें। हनुमान जी की कृपा से कुछ ही दिनों में चमत्कार दिखाई देने लगेंगे।
।।श्री हनुमान वंदना।।
मनोजवं मारुत तुल्यवेगं ,जितेन्द्रियं,बुद्धिमतां वरिष्ठम्।।
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं , श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे।।
।। हनुमानजी की आरती ।।
आरती किजे हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरवर काँपे। रोग दोष जाके निकट ना झाँके॥
अंजनी पुत्र महा बलदाई। संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाये। लंका जाये सिया सुधी लाये॥
कुछ लोगों का बुरा समय केवल इन 5 के कारण ही शुरू होता हैलंका सी कोट संमदर सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे। सियाराम जी के काज सँवारे॥
लक्ष्मण मुर्छित पडे सकारे। आनि संजिवन प्राण उबारे॥
पैठि पताल तोरि जम कारे। अहिरावन की भुजा उखारे॥
बायें भुजा असुर दल मारे। दाहीने भुजा सब संत जन उबारे॥
सुर नर मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे॥
कचंन थाल कपूर लौ छाई। आरती करत अंजनी माई॥
जो हनुमान जी की आरती गाये। बसहिं बैकुंठ परम पद पायै॥
लंका विध्वंश किये रघुराई। तुलसीदास स्वामी किर्ती गाई॥
आरती किजे हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
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