भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशीः 16 सितंबर दोपहर 3.10 बजे से
भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी समापनः 17 सितंबर सुबह 11.44 बजे तक
अनंत चतुर्दशीः 17 सितंबर मंगलवार
अभिजीत मुहूर्तः सुबह 11:51 से दोपहर 12:40 तक रहेगा और विजय मुहूर्त दोपहर 2:18 से 3:07 तक
गणेश विसर्जन के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत): सुबह 09:11 बजे से दोपहर 1:47 बजे तक
अपराह्न मुहूर्त (शुभ): दोपहर 03:19 बजे से 4:51 बजे तक
सायंकालीन मुहूर्त (लाभ): शाम 07:51 बजे से रात 09:19 बजे तक
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर): रात 10:47 बजे से
गणेश विसर्जन से पहले ऐसे करें पूजा
गणेश विसर्जन की हड़बड़ी में कोई गलती होने पर गणेशोत्सव पूजा का पूरा फल नहीं मिलता है। इसलिए गणेश विसर्जन के दिन कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। इससे पूरे साल गणपति बाप्पा की आप पर कृपा बनी रहेगी।- गणेश भगवान के विसर्जन से पहले उनकी विधिवत पूजा करें, साथ ही भगवान अनंत की पूजा करें।
- गणेशजी को मोदक और फल का भोग लगाएं, भगवान अनंत को भी नैवेद्य अर्पित करें।
- इसके बाद भगवान गणेश की आरती उतारें और उनसे विदा लेने की प्रार्थना करें।
- पूजा वाली जगह से गणपति महाराज की प्रतिमा को सम्मान पूर्वक उठाएं।
- एक चौकी को गंगाजल से साफ कर उस पर गुलाबी रंग का वस्त्र बिछा लें और प्रतिमा को इस पर रख लें।
- गणेश मूर्ति के साथ-साथ फल, फूल, वस्त्र और मोदक की पोटली जरूर रख दें।
- इसके अलावा एक पोटली में थोड़े से चावल, गेहूं, पांच मेवे और सिक्के डालकर प्रतिमा के पास रख दें।
- इसके बाद बाजे गाजे के साथ विसर्जन स्थल पर ले जाकर गणेश भगवान की मूर्ति को बहते जल में प्रवाहित करें।
- प्रवाहित करने से पहले आरती जरूर करें और आरती के बाद गणपति बाप्पा से मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करें।
- खास बात है कि गणेशजी की पूजा में तुलसी का प्रयोग बिल्कुल न करें और घर से विदा करते समय मंगल कामना जरूर करें। साथ ही अनजाने में हुई गलती के लिए प्रार्थना जरूर करें।
- घर से निकलते समय बाप्पा को पूरे घर में एक बार अवश्य घुमाएं और घर की चौखट से निकलते वक्त बाप्पा का मुख घर की तरफ रखें और पीठ बाहर की तरफ। इसी तरह से उन्हें विसर्जन की जगह ले जाएं और जल्दी आने के लिए प्रार्थना करें।
- यदि आप घर में ही विसर्जन करते हैं तो किसी प्लास्टिक के टब या किसी बड़ी वस्तु में गणपति विसर्जन करें। विसर्जन के बाद उस पानी और मिट्टी को घर के ही किसी गमले या फिर गार्डन में डाल दें। इसके बाद बाप्पा से अगले वर्ष जल्दी आने की कामना करें और अपने जीवन से कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करें।
विसर्जन के दौरान जपें ये मंत्र
- ॐ यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्। इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥
- ॐ मोदाय नम: