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कुछ लोगों का बुरा समय केवल इन 5 के कारण ही शुरू होता है

भूलकर भी नहीं करें यें काम

May 11, 2020 / 06:08 pm

Shyam

कुछ लोगों का बुरा समय केवल इन 5 के कारण ही शुरू होता है

कुछ लोगों का बुरा समय केवल इन 5 के कारण ही शुरू होता है

जब किसी के जीवन में बुरा वक्त शुरू होता है तो उसके कई कारण होते हैं। शास्त्रानुसार जो मनुष्य इन पांच का बुरा करते हैं या नुक्सान पहुंचाने की कोशिश करते हैं उनके जीवन में उक्त कार्यों को करने से पूर्व ही उनके मन में ऐसा चिंतन शुरू होते ऐसे लोगों का बुरा समय शुरू हो जाता है, वे कई तरह की समस्याओं में फसते चले जाते हैं। जानें कौन से कारण आपकी बर्बादी का कारण बन सकते हैं।

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1- देवता- देवताओं का बुरा सोचना आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। रावण इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है, वह हमेशा देवताओं के मार्ग में बाधा पहुंचाता था। उस्का घमंड आसमान में था। इसलिए कहा जाता है कभी स्वयं को ईश्वर से ऊपर नहीं समझना चाहिए और जो ऐसा करता है उसका अंत उसी समय तय हो जाता है।

2- वेद- असुरों ने वेदों का बहुत अपमान किया था, कई असुरों ने स्वयं ब्रह्मा जी से वेद छीनने की कोशिश की थी। लेकिन जिन-जिन असुरों ने ऐसा किया था, स्वयं ईश्वर ने उन्हें दंड दिया था। इसीलिए कहा जाता कि जो लोग अपने धर्म ग्रंथ, वेद, पुराणों का सम्मान नहीं करते, उन्हें अवश्य दंड की प्राप्ति होती है।

कुछ लोगों का बुरा समय केवल इन 5 के कारण ही शुरू होता है

3- गाय- गाय का असम्मान करने की वजह से बलासुर का नाश हुआ था। उसने देवताओं की सभी गायों का अपहरण कर उन्हें अत्याधिक पीड़ा पहुंचाने का कार्य किया था। जब देवराज इन्द्र को बलासुर की इस हरकत का पता चला तो उन्होंने क्रोध में आकर बलासुर का वध कर दिया। इसलिए कहा जाता है कि जो लोग गाय का अपमान करते हैं उन्हें अवश्य ही दुखों को भोगना पड़ता है।

4- गुरु- दुर्योधन ने ऋषि मैत्रेय का अपमान किया था, एक बार वह धृतराष्ट्र से मिलने आए थे, महल में उनका बहुत आदर-सत्कार हुआ। ऋषि मैत्रेय ने दुर्योधन को अधर्म का मार्ग छोड़कर सत्य की राह पर चलने की बात कही, लेकिन दुर्योधन उनकी बात को अनसुना कर गया और उनपर हंसने लगा। दुर्योधन का अंत क्रोधित होकर ऋषि मैत्रेय ने दुर्योधन को युद्ध में मारे जाने का श्राप दे दिया जो सत्य साबित हुआ। इसलिए कहा जाता है कि हमें कभी अपने गुरुओं का अपमान नहीं करना चाहिए।

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5- धर्म का अपमान- यूं तो अश्वत्थाम, गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र था, लेकिन उसके मन में हमेशा अधर्म की भावना ही रहती थी। दुर्योधन के साथ मिलकर उसने सदैव अधर्म से संबंधित काम ही किए जिसका परिणाम उसे पीड़ा और दुख के रूप में मिला।

इसलिए प्रयास करें उपरोक्त पांचों के अलावा किसी अन्य के बारे में न तो बुरा सोचे और नहीं करें।

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