बुधवार के दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच 108 या 1000 की संख्या में जप करने श्री गणेश जी की भरपूर कृपा मिलती हैं । जब इन मंत्रों का जप करें उस समय शांत चित होकर बैठे गणेश जी के सामने गाये के घी का दीपक जरूर जलायें । जप से पूर्व भगवान प्रथम पूजनीय गणेश जी का षोडशोपचार विधि से पूजन अवश्य करें । भोग के रूप में गणेश जी को मोदक एवं पीले रंग के फलों का भी भोग भी लगायें ।
1- वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ: ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा ॥
2- नमामि देवं सकलार्थदं तं सुवर्णवर्णं भुजगोपवीतम्ं ।
गजाननं भास्करमेकदन्तं लम्बोदरं वारिभावसनं च ॥
3- एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं ।
विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम् ॥
4- विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं ।
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ॥
5- द्वविमौ ग्रसते भूमिः सर्पो बिलशयानिवं ।
राजानं चाविरोद्धारं ब्राह्मणं चाप्रवासिनम् ॥
6- गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं ।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम् ॥
7- रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्यरक्षकं ।
भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात् ॥
8- केयूरिणं हारकिरीटजुष्टं चतुर्भुजं पाशवराभयानिं ।
सृणिं वहन्तं गणपं त्रिनेत्रं सचामरस्त्रीयुगलेन युक्तम् ॥