scriptभगवान बुद्ध जयंतीः शांति की तलाश, प्रेरणापद कथा | Buddha Jayanti 2020 : 7 May 2020 | Patrika News
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भगवान बुद्ध जयंतीः शांति की तलाश, प्रेरणापद कथा

शांति की तलाश

May 06, 2020 / 07:27 pm

Shyam

भगवान बुद्ध जयंतीः शांति की तलाश, प्रेरणापद कथा

भगवान बुद्ध जयंतीः शांति की तलाश, प्रेरणापद कथा

शांति की तलाश

एक बार भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ कही जा रहे थे। उनके प्रिय शिष्य आनंद ने मार्ग में उनसे एक प्रश्न पूछा-‘भगवान! जीवन में पूर्ण रूप से कभी शांति नहीं मिलती, कोई ऐसा मार्ग बताइए कि जीवन में सदा शांति का अहसास हो। भगवान बुद्ध आनंद का प्रश्न सुनकर मुस्कुराते हुए बोले, तुम्हें इसका जबाब अवश्य देगे किन्तु अभी हमे प्यास लगी है, पहले थोडा जल पी ले। क्या हमारे लिए थोडा जल लेकर आओगे?

भगवान बुद्ध जयंतीः शांति की तलाश, प्रेरणापद कथा

भगवान बुद्ध का आदेश पाकर आनंद जल की खोज में निकला तो थोड़ी ही दूरी पर एक झरना नजर आया। वह जैसे ही करीब पंहुचा तब तक कुछ बैलगाड़िया वहां आ पहुची और झरने को पार करने लगी। उनके गुजरने के बाद आनंद ने पाया कि झील का पानी बहुत ही गन्दा हो गया था इसलिए उसने कही और से जल लेने का निश्चय किया। बहुत देर तक जब अन्य स्थानों पर जल तलाशने पर जल नहीं मिला तो निराश होकर उसने लौटने का निश्चय किया।

भगवान बुद्ध जयंतीः शांति की तलाश, प्रेरणापद कथा

उसके खाली हाथ लौटने पर जब भगवान बुद्ध ने पूछा तो उसने सारी बातें बताई और यह भी बोला कि एक बार फिर से मैं किसी दूसरी झील की तलाश करता हूं जिसका पानी साफ़ हो। यह कहकर आनंद जाने लगा तभी भगवान बुद्ध की आवाज सुनकर वह रुक गया। बुद्ध बोले-‘दूसरी झील तलाश करने की जरुरत नहीं, उसी झील पर जाओ।

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आनन्द दोबारा उस झील पर गया किन्तु अभी भी झील का पानी साफ़ नहीं हुआ था। कुछ पत्ते आदि उस पर तैर रहे थे। आनंद दोबारा वापिस आकर बोला इस झील का पानी अभी भी गन्दा है। भगवान बुद्ध ने कुछ देर बाद उसे वहां जाने को कहा। थोड़ी देर ठहर कर आनंद जब झील पर पहुंचा तो अब झील का पानी बिलकुल पहले जैसा ही साफ़ हो चुका था। काई सिमटकर दूर जा चुकी थी, सड़े- गले पदार्थ नीचे बैठ गए थे और पानी आईने की तरह चमक रहा था।

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इस बार आनंद प्रसन्न होकर जल ले आया जिसे बुद्ध पीकर बोले कि आनंद जो क्रियाकलाप अभी तुमने किया, तुम्हारा जबाब इसी में छुपा हुआ है। भगवान बुद्ध बोले- हमारे जीवन के जल को भी विचारों की बैलगाड़ियां रोज गन्दा करती रहती है और हमारी शांति को भंग करती है। कई बार तो हम इनसे डर कर जीवन से ही भाग खड़े होते है, किन्तु हम भागे नहीं और मन की झील के शांत होने कि थोड़ी प्रतीक्षा कर लें तो सब कुछ स्वच्छ और शांत हो जाता है। ठीक उसी झरने की तरह जहां से तुम ये जल लाये हो। यदि हम ऐसा करने में सफल हो गए तो जीवन में सदा शान्ति के अहसास को पा लेंगे।

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