शास्त्रों में उल्लेख आता हैं कि एक बार जब धरती पर अन्न की कमी हो गयी तो जगतजननी मां पार्वती ने मां अन्नपूर्णा का रूप लेकर धरती पृथ्वी लोक पर अन्न की पूर्ति की थी, जिस दिन माता अन्नपूर्णा धरती पर प्रगच हुई थी उस दिन मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि ही थी । तभी से मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती हैं ।
कहा जाता हैं कि एक बार जब धरती पर पानी और अन्न समाप्त होने लगा जिससे चारों ओर हाहाकार मचने लगा और मनुष्य ने अन्न की समस्या से मुक्ति के लिए भगवान श्री ब्रह्मा जी एवं भगवान श्री विष्णु जी की आराधना प्रारंभ कर दी । मनुष्यों की करूण पुकार सुनकर श्री ब्रह्म देव एवं श्री विष्णु जी ने आदिदेव भगवान शिवजी की आराधना की प्रसन्न होकर शिवजी ने माता पार्वती से मनुष्यों की समस्या को दूर करने का आग्रह किया जिससे माता पार्वती ने मां अन्नपूर्णा का रूप धारण करके सभी की समस्या का समाधान कर धरती पर अन्न का भंडार भर दिया । तभी से सभी देवों के साथ धरती के मनुष्यों ने भी मां अन्नपूर्णा की पूजा आराधना आरंभ कर दी ।
पूजा विधि
1- अन्नपूर्णा जयंती 22 दिसंबर 2018
2- अन्नपूर्णा जयंती के दिन रसोईघर साफ सफाई करके गंगाजल छिड़कें ।
3- भोजन पकाने वाले चूल्हे का हल्दी कुमकुम चावल पुष्प धुप दीपक जलाकर पूजन करें ।
4- रसोई में ही माता पार्वती एवं भगवान शंकर जी की पूजा भी करें ।
5- मां अन्नपूर्णा की पूजा भी रसोई घर में ही उपरोक्त विधि से करते हुए प्रार्थना करें कि हे माता हमारे घर परिवार में सदैव अन्न जल भरा रहे ।
6- पूजन करने के बाद गरीबों को अपने घर में बना हुआ भोजन जरूर खिलावें ।