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Mahakumbh 2025: शाही स्नान से पहले नागा साधु क्यों करते हैं 17 श्रृंगार, जानिए रोचक रहस्य

Mahakumbh 2025: महाकुंभ के दौरान साधुओं के 17 श्रृंगार की यह परंपरा उनके दिव्यता और तपस्वी जीवन का प्रतीक है। जो महाकुंभ को एक अद्वितीय धार्मिक उत्सव बनाती है।

प्रयागराजJan 11, 2025 / 09:46 am

Sachin Kumar

Mahakumbh 2025
Mahakumbh 2025: महाकुंभ का दिव्य और भव्य आयोजन होने जा रहा है। यहां साधु-संतों ने अपने बंकर जमा लिए हैं। इस महाकुंभ नगरी में नागा साधु अपनी अलग छवि के कारण आकर्षण का केंद्र होते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि नागा साधु शाही स्नान से पहले श्रृंगार करते हैं? अगर नहीं जानते तो यहां जानिए रोचक कहानी।

श्रृंगार का महत्व (Importance Of Makeup)

महाकुंभ के दौरान संगम में शाही स्नान से पहले नागा साधु 17 श्रृंगार करते हैं। इसका उद्देश्य उनके आत्मा, शरीर और मन को शुद्ध करना होता है। यह श्रृंगार उनकी आंतरिक और बाहरी दिव्यता को प्रकट करता है। इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में मिलता है।
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नागाओं के 17 श्रृंगार (17 Adornments Of Nagas)

नागा साधुओं के 17 श्रृंगार में चंदन, भस्म, रुद्राक्ष, आभूषण, लंगोट, फूल-माला, तिलक, विभूति का लेप, पंचकेश, पैरों का कड़ा, अंगूठी, हाथ में चिमटा, डमरू, कमंडल, गुथी हुई जटा, काजल हाथों का कड़ा और माथे पर तिलक। प्रत्येक वस्तु का अपना धार्मिक और प्रतीकात्मक महत्व होता है।

नागा साधु शाही स्नान से पहले क्यों करते हैं श्रृंगार (Why do Naga Sadhus do makeup before royal bath)

आध्यात्मिक शुद्धि: नागा साधु शाही स्नान से पहले नागा साधु 17 श्रृंगार आत्मा के शुद्धिकरण के लिए करते हैं। मान्यता है कि श्रृंगार भगवान से जुड़ने की प्रक्रिया का प्रतीक है। साधु इसे अपनी भक्ति और तपस्या को और गहन करने के लिए करते हैं।
दैवीय रूप: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार साधु-संतों को देवताओं का स्वरूप माना जाता है। 17 श्रृंगार उनके दैवीय रूप और पवित्रता को दर्शाता है।

सांस्कृतिक परंपरा: नागाओं के श्रृंगार की परंपरा हजारों सालों से चली आ रही है और यह भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाती है।
आत्म-सम्मान और पहचान: शाही स्नान के दौरान साधु अपने मठ या अखाड़े का प्रतिनिधित्व करते हैं। 17 श्रृंगार उनके आत्म-सम्मान और भक्ति को व्यक्त करते हैं।

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श्रृंगार की प्रक्रिया (Makeup Process)

भस्म और चंदन लेप: नागा साधु अपने शरीर पर चंदन और भस्म रमाते हैं। यह उनकी तपस्या और वैराग्य का प्रतीक है।

गले में रुद्राक्ष और माला: यह भगवान शिव के प्रति उनकी निष्ठा और भक्ति का प्रतीक है।
सिर पर मुकुट: इसे उनकी दिव्यता को दर्शाने के लिए सजाया जाता है।

तिलक: माथे पर तिलक लगाना उनकी धार्मिकता को दर्शाता है।

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