पांच प्रमुख स्नान
13 जनवरी – पौष पूर्णिमा (कल्पवास प्रारंभ)14 जनवरी – मकर संक्रांति
29 जनवरी – मौनी अमावस्या
3 फरवरी – बसंत पंचमी
12 फरवरी – माघी पूर्णिमा (कल्पवास का समापन)
26 फरवरी – महाशिवरत्रि (महाकुंभ का अंतिम दिन)
40 करोड़ से ज्यादा लोगों के आने की उम्मीद
5 प्रतिशत आबादी (दुनिया की) होगी महाकुंभ की साक्षी।49 वेटिकन सिटी (दुनिया का सबसे छोटा देश) कुंभ क्षेत्र में बसाए जा सकते हैं।
12 लाख श्रद्धालु करेंगे कल्पवास।
4000 हेक्टेयर में बनी टेंट सिटी। 1.5 लाख टेंट लगाए।
12 किलोमीटर में अस्थायी घाट।
400 किलोमीटर में अस्थायी सडक़ें और पैदल रास्ते बनाए।
2 लाख करोड़ रुपए का योगदान देने की संभावना देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था में।
41 देशों की आबादी से ज्यादा श्रद्धालु
महाकुंभ में मुख्य अमृत स्नान (शाही स्नान) मौनी अमावस्या (29 जनवरी) को होगा। इससे एक दिन पहले और एक दिन बाद तक सबसे ज्यादा श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। यह संख्या 6.5 करोड़ हो सकती है। यह आबादी दुनिया के 41 देशों से ज्यादा होगी।Mahakumbh Mela 2025: महाकुंभ में पहली बार साइबर थाने, मेला शुरू होने से पहले ही कई अफसर हुए ठगी के शिकार
तीसरा आबादी वाला देश होगा महाकुंभ
महाकुंभ में 40 करोड़ लोग आएंगे। आबादी के हिसाब से देखें तो इस दौरान कुंभ दुनिया का तीसरा बड़ा देश होगा। यह आबादी पाकिस्तान से करीब दो गुना और अमरीका से करीब 6 करोड़ ज्यादा होगी।राम मंदिर से साढ़े तीन गुना और नए संसद भवन से 5 गुना खर्च
महाकुंभ के आयोजन पर सरकार 6382 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। यह अयोध्या में बने रामंदिर के निर्माण से करीब साढ़े तीन गुणा अधिक है। राममंदिर के निर्माण पर 1800 करोड़ रुपए खर्च होने हैं। महाकुंभ का खर्च गुजरात की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण (2989 करोड़ रुपए) से दो गुना, जबकि नए संसद भवन के प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा (1200 करोड़ रुपए) से करीब पांच गुना ज्यादा है।कब कहां कौन-सा कुंभ
इस बार प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन किया जा रहा है, जो 144 साल में एक बार होता है। विष्णु पुराण के मुताबिक जब सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में होते हैं और गुरु मेष राशि में होता है तो प्रयागराज में कुंभ लगता है। गुरु कुंभ राशि में प्रवेश करता है और सूर्य मेष राशि में तो हरिद्वार में कुंभ लगता है। जब सूर्य और गुरु सिंह राशि में होते हैं तो नासिक में कुंभ का आयोजन होता है। गुरु कुंभ राशि में प्रवेश करता है तो उज्जैन में कुंभ लगता है।कुंभ : हर 12 साल में चार स्थलों हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है।
पूर्ण कुंभ : हर 12 साल में प्रयागराज में होता है।
महाकुंभ : 12 पूर्ण कुंभ के बाद हर 144 साल में प्रयागराज में लगता है। इसे कुंभ मेले का सबसे पवित्र और महत्त्वपूर्ण रूप माना जाता है। इस बार यही आयोजन हो रहा है।