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Mangal Grah: मंगल ग्रह को कितना जानते हैं आप, जानिए हर उलझन का जवाब

Mangal Grah Se Sambandhit Karya : मंगल, शनि, राहु, केतु जैसे ग्रहों से काफी लोगों में डर होता है, लेकिन इनके प्रभाव कई बातों पर निर्भर करते हैं। ज्योतिषी पंकज उपाध्याय से आइये जानते हैं आपके लिए कैसा है मंगल (Mangal Grah Se Sambandhit Karya) ..

नई दिल्लीJan 12, 2025 / 05:07 pm

Pravin Pandey

Mangal Grah Se Sambandhit Karya

Mangal Grah Se Sambandhit Karya: मंगल का प्रभाव

Mangal Grah: मंगल पिछले वर्ष की 7 दिसंबर से वक्री अवस्था में कर्क राशि में भ्रमणरत है और 21 जनवरी को भ्रमण करते हुए मिथुन राशि में प्रवेश करेगा , इसके बाद 24 फरवरी 2025 को फिर मार्गी हो जाएगा।

कम समय के लिए एक राशि में विचरण करने वाले ग्रहों का लंबे समय तक एक राशि में रहना अच्छा नहीं माना जाता, इसका समाज पर और व्यक्तिगत कुंडली पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस दौरान जन्म लिए बच्चों की कुंडली पर भी यह गहरा प्रभाव डालते हैं और उनके जीवन के जिन क्षेत्रों का ये ग्रह कुंडली में प्रतिनिधित्व करते हैं वहां उन्हें जीवन पर्यंत संघर्ष करना पड़ता है। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं इंदौर के ज्योतिषी पंकज उपाध्याय से आइये जानते हैं आपके लिए कैसा है मंगल


मंगल के कारण लाइफ में आते हैं गुण अवगुण


पंकज उपाध्याय के अनुसार 24 फरवरी 2025 को मार्गी होने के बाद मंगल का राशि परिवर्तन इसके बाद 3 अप्रैल को होगा। इस समय मंगल कर्क राशि में प्रवेश करेगा और उसके बाद 7 जून को सिंह राशि में प्रवेश कर ये मिथुन कर्क में घूमते रहने का चक्र समाप्त करेगा। इसका सभी जीवों पर असर पड़ेगा।

वैसे मंगल ऊर्जा, साहस, हिंसा , शक्ति के साथ भूमि और रक्त का भी प्रतिनिधित्व करता है, इसीलिए आनुवांशिक तौर पर प्राप्त हुई संपत्ति के साथ गुण अवगुण का कारक ग्रह भी मंगल ही है।


मंगल के कारण मिलते हैं आनुवांशिक गुण

एक राजनेता के पुत्र में राजनीतिक गुण और एक जमींदार की संतान को जमीनों के साथ आत्मविश्वास और शक्ति अनुवांशिक रूप से ही प्राप्त होती है। इनके अलावा जो लोग अपने दम पर अपनी शक्ति का साम्राज्य स्थापित करते हैं वे लोग प्रारब्ध से एक मजबूत मंगल लेकर के आते हैं।

ये दोष होते हैं मंगल के कारण

किसी भी प्रकार का अनुवांशिक दोष चाहे स्वभाव का हो या स्वास्थ्य संबंधी क्यों ना, उसका प्रतिनिधित्व कुंडली में मंगल ही करता है। ज्योतिषी पंकज उपाध्याय के अनुसार सामान्यतः कुंडली के 12 भावों को ही लोग सिर्फ कुंडली समझ लिया करते हैं, जबकि एक पूर्ण कुंडली का स्वरूप वर्ग कुंडलियों के साथ मिलकर ही पूर्ण होता है, बिना राशि नक्षत्र और वर्ग कुंडलियों में ग्रहों की स्थिति समझे, किसी भी कुंडली का विश्लेषण पूर्ण नहीं हो सकता है।
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इन कार्यों में मंगल लाता है अवरोध

वहीं से किसी ग्रह की परिस्थिति समझ किसी भी व्यक्ति के पूर्व जन्म के दोष या शेष कर्म का पता लगाया जा सकता है , कई बार कोई छोटे छोटे शेष कार्य जीवन में बड़े बड़े फल रोके बैठे होते हैं, उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति की किसी खास ज्योतिर्लिंग पर यात्रा या किसी खास नक्षत्र में किसी को दान देना या भोजन कराना, हालांकि कुछ दोष ऐसे भी होते हैं, जिनका फल जीवन पर्यन्त भोगना पड़ता है।

सही फल के लिए यह जानना जरूरी

ठीक इसी तरह मंगल से जुड़े शेष कार्य गंभीर बीमारियों और विवादों के कारण बनते हैं। ध्यान रखें मंगल शक्ति का ग्रह है, बिना शक्ति के सामाजिक सम्मान असंभव है , हो सकता हो मुख्य लग्न कुंडली में मंगल की स्थिति बहुत अच्छी हो लेकिन ये किस नक्षत्र, नवांश या परिस्थिति में है, समझे बिना उस से जुड़े ऋण को नहीं समझा जा सकता , वही निश्चित करेगा किस दिशा के किस मंदिर में जा कर आराधना करना इस ग्रह से जुड़े शेष कर्म अर्थात कर्ज को पूर्ण कर जीवन को सुचारू करेगा।


मंगल से रहें सावधान

आगामी दिनों में मंगल क्रूरतम अवस्था में रहेगा जो कमजोर मंगल वालों को स्वास्थ्य के अलावा सामाजिक आर्थिक परेशानियां देगा, सावधानी रखें ।

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