पूजा विधि और शुभ मुहूर्त सबसे पहले मंगलवार की सुबह स्नान-ध्यान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। उसके बाद अपने दाएं हाथ में जल, अक्षत्, पुष्प आदि लेकर व्रत का संकल्प लें। संकल्प लेने के बाद आंवले के पेड़ के नीचे पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं। पंडित जी द्वारा बताए गए मंत्रों का उच्चारण करते हुए पितरों को तर्पण करें। तर्पण करने के बाद आंवले के पेड़ में सूत्र बांधें। इसके बाद कपूर या गाय के घी से दीपक जलाकर आंवले के पेड़ की आरती करें।
ब्राह्मण को खाना खिलाएं आंवले के पेड़ की पूजा करने के बाद, इसी पेड़ के नीचे ब्राह्मण को भोजन कराएं। इसके बाद खुद वहां बैठकर भोजन ग्रहण करें। भोजन ग्रहण करने के बाद एक पका हुआ कोहड़ा लेकर उसके अंदर रत्न या रुपया रखकर संकल्प लें और ब्राह्मण को दक्षिणा के साथ कोहड़ा दे दें।
शुभ मुहूर्त तिथि: 5 नवंबर, दिन मंगलवार सुबह 06.36 बजे से दोपहर 12.04 बजे तक