लाहन की अत्यधिक मात्रा, पांच जलते चूल्हे और मौके पर किसी का न होना, कुछ और ईशारा करता है। सूत्र बताते हैं कि सियादेही जंगल में कच्ची शराब बनाने का कारोबार लंबे समय से चल रहा है। बकायदा नीले ड्रमों में लाहन भरकर रखा गया था।
कार्रवाई टीम में 10 से अधिक लोग शामिल आबकारी टीम की यह कार्रवाई 29 दिसंबर की बताई गई। जनसंपर्क विभाग ने प्रेस नोट जारी कर 30 दिसंबर को कार्रवाई की जानकारी दी। इसमें 25 बल्क लीटर कच्ची शराब जब्त करने और 35 सौ किलो महुआ लाहन नष्ट करने की जानकारी दी गई। इस कार्रवाई के लिए बकायदा टीम गठित की गई, जिसमें 10 से अधिक लोग शामिल थे। टीम में आबकारी विभाग के उपनिरीक्षक से लेकर आरक्षक और नगर सैनिक भी शामिल थे। फिलहाल आबकारी ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ धारा 34 (2), 34 (1) के तहत कार्रवाई की है।
कथित नेता बनवा रहा यहां शराब कोटाभर्री : कलेक्ट्रेट स्थित आबकारी विभाग से कोटाभर्री की दूरी 5 से 6 किमी है। वहीं रूद्री थाने से इस गांव की दूरी 5 किमी है। यहां एक कथित नेता शराब बनवा रहा और बिकवा रहा। नेता की पकड़ इतनी मजबूत है कि कई बार शिकायत के बाद भी पुलिस और आबकारी की टीम यहां कार्रवाई नहीं करती। पूर्व में बरारी के पंचायत भवन में अवैध शराब निर्माण और बिक्री को लेकर बैठक भी हो चुकी। ग्रामीण कलेक्ट्रेट तक भी पहुंचे, लेकिन आज तक कार्रवाई नहीं हुई। कोटाभर्री शहर से लगा हुआ है। शाम होते ही नदी किनारे और सड़क किनारे शराबियों का जमघट लगा रहता है। शराब बिक्री का यहां कोई समय नहीं। जब चाहे शराबियों को कोटाभर्री में शराब मिल जाती है।
कोपेडीह : भखारा क्षेत्र के ग्राम कोपेडीह महुआ शराब बिक्री और निर्माण के लिए पहले से ही बदनाम है। शराबियों के जमघट और बाहरी लोगों के गांव में प्रवेश को लेकर कई बार गांव के लोग कलेक्ट्रेट पहुंच चुके। दो साल पहले यहां एक बार कार्रवाई हुई। वर्तमान में शराब निर्माण और बिक्री जारी है।
फुटहामुड़ा : गंगरेल बांध का यह एक छोर है। लंबे समय से गांव से कुछ दूरी पर बांध में एक टापू है। जहां अवैध महुआ शराब बनाया जाता है। एडवेंचर और जंगल क्षेत्र होने से यहां शराबियों का जमघट लगा रहता है।
माकरदोना : यह क्षेत्र भी महुआ शराब बिक्री के लिए प्रसिद्ध है। यहां घर-घर शराब की बिक्री हो रही। शराब बनाने के लिए जंगलों का सहारा लिया जाता है। शहर से नजदीक होने के कारण महुआ शराब की खपत इस क्षेत्र में ज्यादा है।