जानिए इस पहाड़ को बचाने क्यों हो रहा संघर्ष
बताया जाता है की पितोड़ रानी बस्तर राजा प्रवीर चंद भंजदेव की भी इष्ट देवी थीं जिनकी सेवा करने बस्तर राजा गर्मी के दिनों में आकाश नगर की पहाडिय़ों तक पंहुचते थे। बताया जाता है कि आकाश नगर 11 बी और निक्षेप 14 की पहाडिय़ों के मध्य नंदराज विराजमान हैं जो आदिवासियों के प्रमुख आराध्य देव हैं। इसी प्रकार बैलाडीला की पहाड़ी श्रृंखलाओं में प्राकृतिक गुरु नन्द राज की दो बेटियों का भी वास है इलो और पालो। कहा जाता है कि एनएमडीसी के स्थापना के वक्त हो रहे हादसों को रोकने के लिए इनका बंधन कर दिया गया।
वन विभाग ने वर्ष 2015 में पर्यावरण क्लियरेंस दिया है। जिस पर एनएमडीसी और राज्य सरकार की सीएमडीसी को संयुक्त रूप से उत्खनन करना था। इसके लिए राज्य व केंद्र सरकार के बीच हुए करार के तहत संयुक्त उपक्रम एनसीएल का गठन किया गया था। लेकिन बाद में इसे निजी कंपनी अडानी इंटरप्राइजेस लिमिटेड को 25 साल के लिए लीज हस्तांतरित कर दिया गया। डिपॉजिट-13 में 250 मिलियन टन लौह अयस्क होने की जानकारी है, जिसमें 65 से 70 फीसदी आयरन की मात्रा है।