वहीं दूसरी तरफ बीसीसीआई का कहना है कि कोविड-19 महामारी के कारण सरकार से बात करने का यह उपयुक्त समय नहीं है। इस कारण इसकी समय सीमा कम से कम 30 जून तक बढ़ा दी जाए, लेकिन आइसीसी ने बीसीसीआई के इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है। बता दें कि आईसीसी के वकील जोनाथन हॉल ने 29 अप्रैल को बीसीसीआई को पत्र लिखकर सूचित किया था कि मेजबान समझौते का पालन करने में अभी तक सफल नहीं हुई है। इसलिए आईबीसी (ICC Business Corporation) 18 मई 2020 के बाद किसी भी समय तत्काल प्रभाव से समझौते को समाप्त करने की हकदार है।
आईसीसी को पहले भी हो चुका है नुकसान
आईसीसी और बीसीसीआई के बीच ये कोई पहला मामला नहीं सामने आया है। इससे पहले भारत की मेजबानी में 2016 में हुए टी-20 विश्व कप के दौरान भी टैक्स में छूट का मामला फंसा था। बीसीसीआई भारत सरकार से टैक्स में छूट लेने में कामयाब नहीं हो पाई थी। इस कारण आईसीसी को 20 से 30 मिलियन यूएस डॉलर का नुकसान हुआ था। इसके बाद फरवरी 2018 में भी आईसीसी ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को पहली बार चेतावनी दी थी कि अगर भारतीय बोर्ड सरकार से टैक्स में छूट प्राप्त होने में कामयाब नहीं हो पाता है तो आईसीसी 2021 में होने वाला टी-20 विश्व कप और 2023 के वनडे विश्व कप की मेजबानी भारत से वापस ले सकती है। क्योंकि अगर बिना छूट के भारत की मेजबानी में टी-20 विश्व कप होता है तो उसे करीब 100 मिलियन यूएस डॉलर का नुकसान हो सकता है।