फिजीशियन डा. नितेश तोषाण ने बताया कि छींकते व खांसते समय मुह को रुमाल से ढके, समय-समय पर हाथों को धोते रहे। आंख, नाक और मुंह को अनावश्यक नहीं छुएं, बीमार व्यक्ति से ऊचित दूरी बनाए रखें। अधिक भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें। रोगी से हाथ नहीं मिलाएं और गले नहीं मिले। डाक्टर की सलाह के बगैर दवा नहीं लें। बिना मास्क के स्वाइन फ्लू रोगी के पास नहीं जाएं। आलू, चावल, तथा शर्करायुक्त पदार्थों का सेवन कम करें। इसका अधिक प्रयोग करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। पॉजिटिव आने पर दही का उपयोग नहीं करें।
यह संक्रामित व्यक्ति के खांसने या छीकने, विषाणु का किसी सतह पर जमा होने, सामान्य व्यक्ति का संक्रमित सतह को छूने, सामान्य व्यक्ति के संक्रमित होने से यह रोग दूसरों में फैलता है।
65 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति, पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों, अन्य बड़ी बीमारी जैसे एचआईवी, क्षय रोग, मधुमेह, हृदय रोग, कर्करोग (कैंसर) से पीडि़त व्यक्ति में इसके होने व खतरे की संभावना अधिक होती है।
बुखार, खांसी, गला खराब होना, सर में दर्द, शरीर में दर्द, सर्दी लगना, थकान, उल्टी-दस्त और बेचैनी लगना आदि इसके लक्षण हैं। व्यक्ति के अंदर विषाणु आने के दूसरे-तीसरे दिन दिख जाता है लक्षण
डा. आरिफ ने बताया कि स्वाइन फ्लू का विषाणु किसी सामान्य व्यक्ति के अंदर जाने से दो दिन या एक से पांच दिन के अंदर लक्षण दिखने लगते हैं। पहले दिन छींक आना, खांसी आना व बदन दर्द शुरू होने लगता है। अलगे दो से चार दिन में तेज बुखार, सांस में तकलीफ, पीला बलगम, ज्यादा छीकें आने लगती हैं। पांचवे से सांतवे दिन तक तकलीफ बढ़ जाती है। सातवें से दसवें दिन तक श्वास तंत्र फेल हो जाता है जिसकी वजह से मरीज की मौत भी हो सकती है। स्वाइन फ्लू को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है। पहले स्टेज में टेमीफ्लू देने की जरूरत नहीं होती। दूसरे स्टेज में टेमीफ्लू दी जा सकती है। तीसरी श्रेणा में मरीज को भर्ती करना जरूरी है। इसके लिए विभाग ने आदेश भी जारी किया है। 104 टोल फ्री नंबर पर इसकी जानकारी ले सकते हैं।
स्वाइन फ्लू को रोगियों के लिए वार्ड लगभग तैयार हो गया है। बेड व वेंटीलेटर आदि लगा दिए गए हैं। दवा खरीदने के लिए आदेश दे दिया गया है। एक या दो दिन संबंधित शेष दवाएं भी आ जाएंगी। टेमीफ्लू सहित कुछ संबंधित पर्याप्त मात्रा में हैं। स्टाफ लगाने के आदेश कर दिए गए हैं।
डा. जेएन खत्री, अधीक्षक, डीबीएच, संबद्ध मेडिकल कॉलेज चूरू