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Battle of Longewala: शेखावाटी के कर्नल जयसिंह ने बढ़ाया था देश का मान

देश की रक्षा की जबजब बात आई तो चूरू के सपूतों के अदम्य साहस के चलते दुश्मनों को पीछे हटना पड़ा।

चूरूMay 02, 2022 / 11:52 am

Santosh Trivedi

Battle of Longewala 1971 Lt. col jai singh from curu brave Story

देश की रक्षा की जबजब बात आई तो चूरू के सपूतों के अदम्य साहस के चलते दुश्मनों को पीछे हटना पड़ा। आज भी दुश्मनों के खेमे में वीरों की बहादुरी की चर्चाएं होती है। चूरू में एक ऐसा ही नाम है थैलासर के लेफ्टिनेंट कर्नल जयसिंह का, जिन्हें वीरता के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया।

तनोट युद्ध में महानायक के रूप में कर्नल जयसिंह के रूप में सामने आए। उस समय उनके संकल्प तन जाए तनोट न जाए के नारे ने जवानों में नया जोश भर दिया। शत्रु का अपार सैन्य बल, बारूदी सुरंग का जाल, कई गुना शस्त्र भंडार, गोले उगलती हुई तोपें, वायुयानों से बम वर्षा भी हौसलों को कमजोर नहीं कर पाई। कम संसाधनों से साथ आगे बढ़े तनोट की रक्षा करके पश्चिम सीमा को सुरक्षित किया।

इतिहासविद् प्रो. केसी सोनी ने बताया कि 1971 में लौंगोवाला का रक्षण भी इसी कीर्ती यात्रा का दूसरा महत्वपूर्ण सौपान रहा है। अनके चौकियों पर कब्जा करना, स्थानस्थान पर दुश्मनों को धराशाही करना, 18760 वर्ग किलोमीटर में युद्ध का संचालन करना, शाहगढ़ को मुक्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

तनोट में वीरता को देखकर तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया ने उन्हें सेंट लॉरेंस ऑफ थार की उपाधी देकर सम्मानित किया गया था। बताया जाता है कि कर्नल जयसिंह की वीरता से प्रभावित होकर कवियों ने कई कविताएं भी लिखी थी। वीरता को देखते हुए तनोट युद्ध के बाद में राष्ट्रपति का सेना मैडल व लौंगोवाला युद्ध में साहस का परिचय देने पर राष्ट्रपति का पुलिस मैडल देकर सम्मानित किया गया था।

आज तनोट व चूरू में स्थापित विजय स्तंभ युवा पीढ़ी को वीरता का संदेश दे रहा है। इतना ही नहीं भारत सरकार ने जैसलमेर में एक सीमा पोस्ट का नाम जय पोस्ट रखकर उन्हें सम्मान भी दिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 10 अगस्त 1985 में तनोट यात्रा के दौरान उनकी वीरता के किस्से सुने तो प्रशंसा किए बगैर नहीं रहे। तत्कालीन प्रधानमंत्री गांधी ने विशेष रूप से मिलने के लिए उन्हें वहां बुलाया व वीरता की प्रशंसा भी की। इतना ही नहीं तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडिय़ा भी प्रशंसकों में शामिल थे।

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