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चित्तौड़गढ़

राजस्थान के इस मंदिर में अनोखी परंपरा, भक्तों को प्रसाद में दिए जाते हैं नोट व सिक्के

Chittorgarh Unique Temple: मान्यता है कि यहां से वितरित सिक्के ओर नोट के प्रसाद को संभाल कर रखने से घर परिवार में आर्थिक समृद्धि आती है।

चित्तौड़गढ़Oct 18, 2024 / 02:46 pm

Alfiya Khan

Chittorgarh News: बेगूं। हमारे देश में कई ऐसे मंद‍िर हैं ज‍िनकी मान्‍यताएं काफी अलग-अलग हैं। मंदिरों में भक्त भगवान को भोग लगाते हैं। उसी भोग को प्रसाद के रूप में भक्तों को वितरित किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते है राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में एक ऐसा मंदिर है जहां प्रसाद के रूप में भक्तों को नोट व सिक्के दिए जाते हैं।
चित्तौड़गढ़ जिले में प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थ स्थल श्री बानोड़ा बालाजी मंदिर परिसर में श्री लक्ष्मी रानी मंदिर के शरद पूर्णिमा पर पट खोले गए। छह महीने बाद खुले पट के बाद दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। दर्शन एवं लक्ष्मी प्रसाद के लिए लंबी कतारें लगी। श्री बानोड़ा बालाजी में कई मंदिर बने हुए है। इनमें लक्ष्मी माता का मंदिर है।

दो साल में दो बार खुलते है लक्ष्मी के द्वार

यहां लक्ष्मी मन्दिर के वर्ष में के दो बार ही पट खुलते है। शरद पूर्णिमा पर गुरुवार सुबह पट खोले गए। बालाजी महाराज के पंडित कैलाश चंद्र शर्मा ने लक्ष्मीमाता की पूजा आरती की। फिर आम जन के लिए दर्शन शुरू हुए। यहां दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओ को प्रसाद के रूप मे एक पैकेट दिया जाता है जिसमें पुष्प, यज्ञ हवन कुण्ड की भभूत, पंच मेवा, नोट ओर सिक्के होते है।
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घर परिवार में आर्थिक समृद्धि

किसी भी श्रद्धालु के पैकेट में 1, 2, 5, 10 रुपए के सिक्के और 10, 20, 50, 100, 200, 500 रुपए में से कुछ भी नोट हो सकता है। मान्यता है कि यहां से वितरित सिक्के ओर नोट के प्रसाद को संभाल कर रखने से घर परिवार में आर्थिक समृद्धि आती है। ऐसे में यहां नगर एवं आसपास के गांवो सहित चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, कोटा, उदयपुर, नीमच, मंदसौर, सिंगोली आदि स्थानों से श्रद्धालु धन का प्रसाद लेने यहां सुबह से कतार में लग गए।
इस अवसर पर यहां कई सजीव झांकिया सजाई गई। छप्पन भोग लगाया गया। झांकी सजाई गई थी। हजारों की संख्या में आए श्रद्धालुओं को व्यवस्थित दर्शन करने में बानोड़ा बालाजी सेवा मंडल के कार्यकर्ताओं ने सेवा दी।

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