दिल्ली खजुराहो वंदे भारत ट्रेन के झांसी के रास्ते चलने की संभावना है। दिल्ली से खजुराहो के बीच चलने वाली ट्रेन 600 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए हरियाणा, यूपी, राजस्थान होते हुए खजुराहो पहुंचेगी। इस ट्रेन के सिर्फ दो स्टॉपेज होंगे, एक आगरा और दूसरा झांसी। हालांकि ट्रेन के रूट और समय सारिणी को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। माना जा रहा है कि रेलवे बोर्ड की ओर से इस संबंध में जल्द ही कुछ दिशा-निर्देश आ सकते हैं।
झांसी रेल मंडल में 1401 किलोमीटर लंबा ट्रैक है। इसमें से 1323 किमी लंबे ट्रैक पर ओएचई लाइन डालकर विद्युतीकरण कर दिया गया है। महज 78 किमी का काम होना बाकी है। ये हिस्सा ललितपुर से खजुराहो के बीच ईशानगर-उदयपुरा के बीच बचा हुआ है, जिस पर काम तेजी से जारी है। इसके पूरा होने के बाद इंजन नहीं बदलना पड़ेगा। इससे समय की बचत होगी। इसके साथ ही इस ट्रेक पर ट्रेनों की रफ्तार 70 से 110 किलोमीटर प्रतिघंटे हो जाएगी।
16 जनवरी 2014 को छतरपुर रेलवे स्टेशन पर पहला रेल इंजन आया था, जिससे ललितपुर से खजुराहो तक पूरे रेलवे ट्रैक का प्रथम परीक्षण किया गया। इसी पहल के तहत ललितपुर से टीकमगढ़ के मध्य 52 किमी लंबा रेलवे ट्रैक तैयार करके पैसेंजर ट्रेन का संचालन शुरू किया गया। इसके बाद ट्रैक को आगे बढ़ाकर खजुराहो तक तैयार किया गया। इसके बाद यहां तेजी से विकास कार्यों ने गति पकड़ी। दो प्लेटफार्म तैयार हो गए, कई नई सुविधाजनक ट्रेनें भी चलने लगी हैं। अब रेल लाइन का विद्युतीकरण होने के बाद एक नई सुविधा मिल जाएगी।
वर्ष 1955 से खजुराहो में रेलवे लाइन की मांग को लेकर छतरपुर जिले के लोग आंदोलन व प्रयास शुरु किया। इसी का परिणाम रहा कि वर्ष 1991 में खजुराहो में रेल लाइन की आधारशिला रखी गई। तत्कालीन रेल मंत्री जॉर्ज फर्नाडीज ने अपने बजट में इस लाइन के सर्वे और अगले रेल मंत्री रामविलास पासवान ने रेलवे लाइन बनाने की घोषणा की। इसके बाद वर्ष 1998 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी व रेल मंत्री नीतीश कुमार ने रेलवे लाइन को मंजूरी देते हुए इसका शिलान्यास किया। डेढ़ दशक तक भारतीय रेल की इस महत्वकाक्षी परियोजना पर युद्धस्तर से कार्य किया गया और आखिरकार यहां के लोगों को रेल सुविधा मिल गई। अब तो इसका विस्तारीकरण किया जा रहा है।